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ऐक रुपईया (One Rupee)
एेगो महात्मा भ्रमण करेत कोनो नगर दने जाईत रहेए । मार्ग में हुनका एक रुपया (one rupee) भेटल। महात्मा त वैरागी और संतोष से भरल व्यक्ति छलऐ भला उ एगो रूपया (one rupee) की कर्थिन बरा देर सोचला के बाद हुनका मन मे विचार भेल ई रुपया कोनो दरिद्र के देल जाई कता'आ कs दिन क खोजला के बाद हुऩका कोई दरिद्र व्यक्ति नए भेटल।विज्ञापन
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ऐ भी पढ़िऐ :- ऐक अनौखी प्रेम कहानी :-A UNIQUE LOVE STORY BY ARJUN SAHUएक दिन वो अपन दैनिक क्रियाकर्म के लेल भोरे- भोर उठंतs देखला की ऐगो राजा अपनं सेना ला के दोसर कोनो राज्य पर आक्रमण करवा के लेल हुनका आश्रम के सामने से सेना सहित जा रहल छे:।
ऋषि के देखकर राजा अपन सेना के रुके के आदेश दलक और खुदे आशीर्वाद के लेल ऋषि के लंग आईब के कहल्क कि हे महात्मंन हम दौसर राज्य के जीते के लेल जा रहल छिं: ताकि हमर राज्य ओरौ विस्तार हौए । हमरा विजयी होईे का आशीर्वाद प्रदान करु महात्मंन।
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ऋषि बहुते देर सोचलखिन और सोचला के बाद वो एक रुपया राजा की हथेली में रखई देल्क । ई देख कर राजा हेरान और नाराज दोनों भेंल लेकिन हुनका ऐकर पीछा के प्रयोजन बहुते देर तक सोचला के बादो भी नए समझ मे ऐला । ते राजा ने महात्मा से ऐकर कारण पूछलिखीन ते महात्मा ने राजा के सहज भाव से जवाब देल्क कि हे राजंन कताआs के दिन पहिले हमरा ई एगो रुपया आश्रम आबत खन मार्ग में मिल्ल छले त हमरा लग्ल केनो दरिद्र के दे देबा के चाहिए क्यांकी कोनो वैरागी के पास ऐकरा होई क कोनो औचित्य नए छैं। बहुत खोजलो के बाद भी हमरा कोई दरिद्र व्यक्ति नएं मिल्ल लेकिन आई आहा के देखकर ई ख्याल मन में आईल कि आहा से बरका दरिद्र तो कोई भेए नए सकेएा राज्य में जे सब कुछ रहला के बादो भी कोनौ दौसर बड़का राज्य के लेल भी लालसा रखईए छिं: । ऐहे एगो कारण छैं कि हम आही के एक रुपया देलू हन ।
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