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भारत के दसवें प्रधानमंत्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और उसके अध्यक्ष भी रहे।
उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया ।
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सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया
उत्तरप्रदेश आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी श्री पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी जो मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। 25 दिसम्बर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी पत्नी कृष्णा देवी वाजपेयी से अटल जी का जन्म हुआ था।
पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन तो थे ही। इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के कवि भी थे। अटल जी को काव्य के गुण अपने पिता से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा लिखत अमर कृति "विजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।
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व्यक्तिगत जीवन
वाजपेयी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राजकुमारी कौल की मृत्यु वर्ष 2014 में हो चुकी है। अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे।
कवि के रूप में अटल
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अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में उनके पिता से मिले थे ।
अटल जी ने किशोर काल में ही एक अद्भुत कविता लिखी थी - ''हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय", जिससे यह पता चलता है कि बचपन से ही उनका रुझान देश हित की तरफ था।
उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। और कई अन्य कविताएं लिखी थी अटल जी ने ।
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वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।
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1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। 3 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी जी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1996 में भारत के प्रधानमन्त्री बने।
मृत्यु
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वाजपेयी को 2009 में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असक्षम हो गए थे। उन्हें 11 जून 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को शाम 05:05 बजे उनकी मृत्यु हो गयी।
उन्हें अगले दिन 17 अगस्त को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या ने उन्हें मुखाग्नि दी।
वाजपेयी के निधन पर भारत भर में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी।