Sama Chakeva: Bhai-Behan Love & Mithila Tradition का सबसे प्यारा लोक पर्व

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सामा-चकेवा: बहन-भाई के पवित्र प्रेम का लोक पर्व

Sama Chakewa Festival: प्रेम, परंपरा आ Mithila Identity के उत्सव 🌙

Sama Chakewa Festival: भारत की संस्कृति में लोक पर्वों का विशेष स्थान है, जिनमें प्रेम, भाईचारा, त्याग और स्नेह की झलक मिलती है। इन्हीं लोक पर्वों में से एक है सामा-चकेवा, जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मिथिला क्षेत्र में बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है। "Mithila Culture Festival" यह पर्व बहन-भाई के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

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सामा-चकेवा पर्व कब और क्यों मनाया जाता है?

Sama Chakeva kab hai: सामा-चकेवा पर्व कार्तिक मास की रातों में शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। यह पर्व उस समय मनाया जाता है जब हिमालय क्षेत्रों से प्रवासी पक्षी मैदानों की ओर वापस लौटते हैं। लोक मान्यता के अनुसार इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु और सुख की कामना करती हैं।

सामा-चकेवा की पौराणिक कथा

Sama Chakeva Story: कथा के अनुसार, सामा भगवान कृष्ण की पुत्री थीं। उन पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें एक पक्षी (चकेवा) के रूप में बदल दिया गया। सामा की बहनों ने प्रेम और समर्पण के साथ प्रार्थना की, जिसके परिणामस्वरूप सामा को पुनः मानव रूप मिल गया। यह कथा बहन-भाई के पवित्र प्रेम और विश्वास को दर्शाती है।

sama chakeva Maithili festival
Sama chakeva festival ai photo

कैसे मनाया जाता है सामा-चकेवा?

  • बहनें मिट्टी से सामा-चकेवा की सुंदर प्रतिमाएँ बनाती हैं।
  • शाम को दीप जलाकर गीत गाए जाते हैं।
  • भाई के सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
  • अंतिम दिन प्रतिमाओं का जल में विसर्जन होता है।

लोक गीत (नमूना)

“सामा चकेवा खेलबै मैया, बहिनी-पुतर के मेल हो…”

सामा-चकेवा पर्व का सामाजिक महत्व

महत्व विवरण
भाई-बहन का प्रेम बहनें भाइयों की रक्षा और दीर्घायु की कामना करती हैं।
पारिवारिक एकता परिवार में प्रेम और अपनापन बढ़ता है।
सांस्कृतिक धरोहर यह पर्व मिथिला की प्राचीन संस्कृति को जीवित रखता है।

Sama chakewa photos
"Sama chakeva festival real photo"

निष्कर्ष

Bhai Behan Lok Parv: सामा-चकेवा केवल एक त्योहार नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। यह पर्व हमें रिश्तों की महत्ता और परंपराओं के सम्मान का संदेश देता है।

सामा-चकेवा पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: सामा-चकेवा पर्व कब मनाया जाता है?

उत्तर: यह पर्व कार्तिक मास की रातों में शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है।

प्रश्न 2: सामा-चकेवा पर्व का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर: यह पर्व भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और संरक्षण के भाव का प्रतीक है।

प्रश्न 3: इस पर्व में सामा-चकेवा की मिट्टी की प्रतिमा क्यों बनाई जाती है?

उत्तर: इन प्रतिमाओं के माध्यम से बहनें देवी सामा की कथा का स्मरण करती हैं और भाई के सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।

प्रश्न 4: सामा-चकेवा पर्व में कौन से गीत गाए जाते हैं?

उत्तर: इस पर्व में लोक गीत गाए जाते हैं, जिनमें बहन-भाई के प्रेम और सांस्कृतिक परंपरा का वर्णन होता है।

प्रश्न 5. सामा-चकेवा की कहानी क्या है?

उत्तर: सामा-चकेवा की कहानी भगवान कृष्ण की बेटी सामा और उसके भाई चकेवा पर आधारित है। झूठे आरोपों के कारण सामा को पक्षी का रूप मिला था, लेकिन भाई चकेवा के प्रेम, तप और श्रद्धा के कारण उसे वापस मानव रूप मिला। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और रक्षा का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 6. सामा चकेवा का क्या अर्थ है?

उत्तर: सामा बहन का और चकेवा भाई का प्रतीक है। यह त्योहार यह दर्शाता है कि भाई अपनी बहन की रक्षा और सम्मान के लिए सदा तत्पर रहता है।

प्रश्न 7 . सामा चकेवा पूजा कब होती है?

उत्तर: सामा-चकेवा की पूजा छठ पूजा के अगले दिन से शुरू होती है और यह कार्तिक पूर्णिमा तक मनाई जाती है।

प्रश्न 8. सामा चकेवा विसर्जन कब है?

उत्तर: सामा-चकेवा का विसर्जन कार्तिक पूर्णिमा की रात को किया जाता है, जब बहनें सामा-चकेवा की मूर्तियों को नदी या तालाब में प्रवाहित कर विदाई देती हैं।

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