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तुलसी पत्ते का औषधि गुण ( medicinal properties of basil leaves)
तुलसी का पोधा बहुत ही गुण करी होता है, तुलसी एक जानी-मानी "औषधि" भी है जिसका उपयोग कई बीमारियों में किया जाता है. "सर्दी-खांसी" से लेकर कई बड़ी और लाइलाज बीमारियों में भी यह कारगर साबित होता है.और "पौराणिक महत्व" भी है।तुलसी का वैज्ञानिक नाम (Ocimum tenuiflorum )
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तुलसी कोन थी ? Who was Tulsi?
तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक पतिव्रता महिला थी जिस का नाम वृंदा था, वृंदा बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी, वृंदा का जन्म राक्षस कुल में हुआ हुआ था, बडे़ प्रेम से भगवान की सेवा एवं पूजा अर्चना किया करती थी जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाहा राक्षस कुल के राजा रदानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था, वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी अपने पती के लिए जान भी निछावर कर सकीत थी
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तुलसी पोधा में काला पत्थर क्यू रखते हैं? Why keep black stone in Tulsi plant?
भगवान विष्णु जी ने कहा आज से इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक सौ रूप काला पत्थर के रूप इस तुलसी पोधा के जड़ में रहेगा
तुलसी की पौराणिक कथाएं (Legends of Tulsi)
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर आप की विजय और लंबी आयु के लिये अनुष्ठान करुगी, और जब तक आप घर वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प ठान कर पूजा करने बैठ गयी,
उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, जब सारे देवता हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये। सबने "भगवान से प्रार्थना" की तो भगवान कहने लगे वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल कपट नहीं कर सकता हूं, फिर देवता बोले भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।"भगवान विष्णु" ने जलंधर का रूप धारण कर के वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को स्पर्श किया,
जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को प्रास्त कर उसका सिर धर से अलग कर दिया, उनका सिर वृंदा के आंगन में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये माहाश्य जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका चरण स्पर्श मैने भी किया तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके, वृंदा सारी बात समझ गई, अति क्रोधित हो कर वृंदा ने "भगवान को श्राप" दे दिया आप पत्थर के मूर्ति हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये। देव लोग में हाहाकार मच गया लक्ष्मी जी बिलख बिलख कर रोने लगी और प्रार्थना करने लगे तब वृंदा जी ने भगवान को दिया हुआ श्राप वापस ले लिया भगवान विष्णु पहले जैसा हो गए और अपने पति का सिर लेकर वे सती हो गयी।
तुलसी का उत्पन केसे हुआ ? (How was Tulsi born?)
उनकी राख से एक पौधा निकला तब भगवान विष्णु जी ने कहा आज से इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक सौ रूप पत्थर के रूप इस तुलसी पोधा के जड़ में रहेगा जिसे "शालिग्राम" के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में बिना तुलसी जी के भोग स्वीकार नहीं करुगा। तभी से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। आज भी पूजा पाठ में तुलसी का बड़ा महत्व है बिना तुलसी पत्र के पूजा नहीं होती और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में किया जाता है और .देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !
अंतिम शब्द
प्रिय पाठकों यह लेख, तुलसी का उत्पन केसे हुआ? भगवान को तुलसी क्यू चढाई जाती हे? तुलसी कौन थी? आप को केसा लगा कॉमेंट करें,यही आप के पास कोई सुझाव है तो contact us क्लिक कर के हमे बताए