मेरे पास मां है... हिन्दी सिनेमा की वो दुखियारी मां जिनकी असल जिंदगी भी दर्दभरी थी
आज मेरे पास बिल्डिंग है, प्रॉपटी है, बैंक बैलेंस हैं, बंगला है, गाड़ी है. क्या.. क्या है तुम्हारे पास?’
मेरे पास मां है.
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अमिताभ बच्चन और शशि कपूर का ये एपिक डायलॉग जो आज दशकों बाद भी चाहने वालों की जुबां पर है. ‘दीवार’ फिल्म में मां थी निरूपा रॉय. जिनके बारे में कहा जाता है कि हिन्दी सिनेमा की ऐसी मां जिनके एक-एक डायलॉग से ममता छलकती थी. वहीं फिल्मों में रोल ऐसा कि ज्यादातर रोने में ही जिंदगी कट जाती थी. निरूपा रॉय की इसी नेचुरल एक्टिंग के लिए उन्हें हिन्दी सिनेमा की मां कहा जाने लगा आपको जानकर हैराने होगी कि निरूपा की जैसी रील लाइफ में नजर आती थी, उनकी रीयल लाइफ भी काफी हद तक ऐसी ही थी
निरूपा रॉय की जन्म 4 जनवरी 1931 गुजरात के बलसाड़ में हुई थी और 13 अक्टूबर 2004 को निरूपा हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गई.जिनका असली नाम कोकिला बेन था।
13 साल की उम्र में पढ़ाई छोर दी थी,और बली उम्र 15 साल में शादी हो गई केवल 15 साल की उम्र में उनकी शादी कमल रॉय से हो गई थी. शादी के बाद वो मुम्बई चली गई थी. वहां उन्हें एक ज्ञापन दिखा. जिसमें लिखा था ‘कलाकार चाहिए’. उन्होंने अपना प्रोफाइल भेजा और उन्हें चुन लिया गया।
देवी का रोल करते-करते लोग समझने लगे थे देवी माता
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उनकी पहली हिंदी फिल्म थी अमर राजा. जिसमें त्रिलोक कपूर उनके हीरो थे. उनके साथ निरूपा की जोड़ी इतनी जमी कि उन्होंने त्रिलोक के साथ कुल 18 फिल्मों में काम किया. शुरूआती फिल्मों में उन्हें देवी का किरदार मिला. 1951 में निरूपा रॉय की फिल्म 'हर हर महादेव' प्रदर्शित हुई. इस फिल्म में उन्होंने देवी पार्वती की भूमिका निभाई. फिल्म की सफलता के बाद वह दर्शकों के बीच देवी के रूप में प्रसिद्ध हो गयी. इसी दौरान उन्होंने फिल्म 'वीर भीमसेन' में द्रौपदी का किरदार मिला. एक से रोल करने की वजह से लोग उन्हें असली में देवी समझने लगे और उनसे मिलने के लिए घर तक आ जाया करते थे.
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मौत से पहले बेटों ने शुरू किया था प्रॉपटी विवाद
निरूपा रॉय की जिंदगी के आखिरी साल बड़े ही दुख में बीते थे. उनके दोनों बेटे योगेश रॉय और किरण रॉय उनकी दौलत के लिए लड़ते रहे. मीडिया खबरों की मानें तो उनपर प्रॉपटी लेने का भूत इस कदर सवार था कि वो अपनी मां से भी बदतमीजी कर दिया करते थे. इसी वजह से आखिरी सालों में निरूपा तनाव में रहने लगी थी. उनके मरने के बाद दोनों बेटे उनके घर को लेकर अदालत में पहुंच गए थे.