वसीयत और नसीहत मैथिली प्रेरणादायक कथा :- Inspirational Story in maithili

मैथिली साहित्य कहानी (maithili literature story)

वसीयत और नसीहत मैथिली प्रेरणादायक कथा
वसीयत और नसीहत
 
एेगै राजा अप्ननं बेटा के वसीयत देत खंन कहल्के,
बेटृा हमरा मरला के बाद हमरा पैर मे ई फटल मैजा पहिना देहृा !
हमर ई अंतिन इच्छ़ा जरूर पुरा करहिऐ बेटृा
बाफ के मरलृा बक्त नहेला के बाद बेटा पंडितजी से बाफ के अन्तीम इच्छ़ा के बात कहलक
पंडितजी बाजल : हमऱा मिथिला धर्म में कोनो वस्त्र पहनाबै की अणुम्ती नए छै।
लेकिन बेटा के ज़िद छलृा कि पिता की अंतिन इच्छा पूरा करबै करब ।
बहस ऐते बढ़गेल की सम्सत मिथिला के पंडितों के बुला लेल गेल सब पंडितों जम-जम करे लागल
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लेकिन कोई नतीजा नऍ निकाल्कृ ।
ऐहनेे माहौल में एगै व्यक्ति ऐला, और बेटा के  हाथ में पिता का लिख्लाहा चिठ़ी  थमाहा देल्क,
जेए में पिता के नसीहत लिखल रहल"!

की लिखल रहल ऍक बेर जरुर पढु

हमर प्रांण से प्रिए पुत्र

देख रहल छि..बेटाʼ? बंगला, गाड़ी ब्रका-ब्रका फैक्ट्री और ऐते धंन-दौलत रहला के बादो हम' एेगै फटृलका मोजा तक नऐं लेकृ जा सक्लिऐ ।

एेक दिन तौहरौ मृत्यु ऐतो तयार रह तोहरो ऐक दिन एेगो उज्रका कपडा में जाय पड़तो ।

लिहाज़ा कोशिश करिहा,पैसा के लेल केक्रोे दुःख नऍ दिहेक, ग़लत तरीक़ा से पैसा नऍ कमहिऍ धन के धर्म के कार्य में हि लगहिऍ।

सब जन के ई जाने का हक छे कि शरीर छूटला के बाद खाली कर्म ही साथ जाएछेे"। लेकिन फेरो  आदमी तब तक धन के पीछा भागते रहे छे जब तक औक्र निधंन नऍ भ जाई छ़ैे।
                                                                

अणमोल बाणी मिथिला के Anmol Bani of Mithila 

जे आहा के दिल से बात क रहल छे हुनका कहिएो दिमाग से जवाब नऍ दिएो

एेक साल मे 50 मित्र बना लेनाई आम बात छै। लेकिन 50 साल तक एक मित्र से मित्रता निभा लेनाई खास बात छै।

एगे वक्त छले जब हम सोचेत छलिऍ कि हमरो वक्त ऐते और एेगो ई वक्त छै कि हम सोईच रहल छी कि वो भी कोनो वक्त छलै।

एेक मिनट मे जिन्दगी नए बदलत पर एेक मिनट सोच कर लिखल फैसला पूरी जिन्दगी बदल देए छे|

आहा जीवन में कितनो भी ऊॅचा क्या न उठ जाउ पर अपन गरीबी और कठिनाई के कहिएो नए भूलियौ।

वाणी मे अजीब शक्ति हौय छै। कड़वा बोले वाला का मोह्द भ नए बिकेछ़ै और मीठा बोले वाला के मिर्ची भी बिक जाय छै़।

जीवन में सबसे बरका खुशी उौ काम के करऐ में आबे छ़ै! जेहिमे लोग कहे छ़ै कि तु ई काम नऍ कर पह्बिही ।

इंसान एेगो दुकान छ़ै और जुबान उोकर ताला। ताला खुले छ़, तख्ने मालूम परे छ़ै कि दुकान सोने के छियेै या कोईलाे के।

कामयाब होई के लेल जिन्दंगी में कुछ़ ऐहन काम करु कि लोग आहा के नाम Face book पर नऍ Google पे सर्च करेआ।

दुनिया कितनो विरोध करे पर आहा डरु नऍ, किय्की जेए गांछ पर फल लगेए छ़ै दुनिया उौहेे गांछ पर पत्थर मारे छ़े।

जीत और हार आहा के सोचे पर हि निर्भर छ़ै। मान लिया तो हार भेंल्लेई और ठान लिया त जीत भेंल्लेई ।

दुनिया की सबसे सस्ता चीज छ़ै सलाह, एक से मांगु हजारो से मिले छ़ै । सहयोग हजारों से मांगु लेकिन एेगो से मिले छ़ै।

हम धंन से कहलिऐ कि तु एेगो कागज के टुकरि छि। धंन बरा हसि क बाजल ठिके मैं हम एेगै कागज के टुकरि छीँ लेकिन हम आई तक जिंदगी में कहिएौ कुड़ादान के मुंह नऍ देखलिऐ।

जब एेगो रोटी के चाईर टुक़्री रहे छे़ और खाई बला पांचगो रहेंʼछ़ै तखईिने हमरा भूख नऍ लाग्ल, ऐहन क्हेई बला के छ़ै़••? सिर्फ ऐगो "माँ"।

जब लोग आहा के दखोसी करे लागें त बुईझं लिया कि आहा जीवंन में सफल भ रहल छीैं।

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