हनुमान जी को पवनपुत्र क्यों कहा जाता है? कौन थे असली पिता | Hanuman Janam Katha

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हनुमान जी की जन्म कथा | Why Hanuman is called Pawan Putra and in hindi| पृथ्वी पर हनुमान का जन्म कैसे हुआ था?, हनुमान जी को 'पवनसुत' क्यों कहा जाता है?, हनुमान जयंती स्पेशल 2024

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Hanuman Ji Ka Janam Kaise Hua

Hanuman Janam Katha in Hindi : हनुमान जी अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट, परेशानियां और बाधाएं दूर कर देते हैं। भगवान हनुमान जी के बारे में ऐसी भी मान्यता है कि वे बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। इनकी पूजा में ज्यादा कुछ करने की जरूरत भी नहीं होती है. शायद यही कारण है कि आज के समय में बेदेशों में भी हनुमान जी के भक्तों की संख्या भी बहुत बढ़ गई है। बेदेशों में जो लोग हनुमान जी को नहीं जानते हैं वे भी इंटरनेट पर “हनुमान जी का असली नाम क्या है?” हनुमान जी अभी कहां है? Where is Hanumanji now? “Who is Lord Hanuman” सर्च करते हैं। और भगवान हनुमान जी जुडना चाहते हैं, राजस्थान के सालासर और मेहंदीपुर धाम में उनके विशाल और भव्य मंदिर हैं। जहां देश विदेश के लोग दर्शन करके आते हैं। लेख में बने रहिए यहां हम आपको सरल और आसान तरीके से हनुमान जी के जन्म के बारे में कुछ पौराणिक तथ्य और कथाएं की जानकारी दे रहे हैं।

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हनुमान जी का जन्म कथा व माता पिता

Hanuman Ji ko Pawan Putra kyon kaha jata hai
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जैसा कि सभी जानते हैं कि हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं, उनकी शरण में जाते ही सभी भक्तों के सारे दुःख दर्द दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों की गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा में मंगलवार को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमानजी के असली पिता सुमेरु पर्वत के वानरराज के राजा केसरी थे और माता अंजनी थीं। बजरंगबली हनुमान जी को कुल 108 नामों से जाना जाता है, वायु देव भी उनके पिता माने जाते हैं। इसीलिए पवनपुत्र भी कहा जाता है।

कौन थीं हनुमान जी की माता पुंजिकस्थली यानी माता अंजनी

हनुमान जी के मां अंजनी कौन थी देवराज इंद्र की सभा में पुंजिकस्थली एक अप्सरा थी। एक बार जब दुर्वासा ऋषि इंद्र की सभा में मौजूद थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार भीतर आ-जा रही थी। इससे ऋषि दुर्वासा नाराज होकर उन्हें वानरी (Female Monkey) हो जाने का श्राप (Curse) दे दिया। पुंजिकस्थली ने माफी मांगी, तो ऋषि उनको इच्छानुसार उचित रूप धारण करने का भी वर दिया। कुछ साल बाद पुंजिकस्थली ने सबसे अच्छा वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। इनका नाम अंजनी रखा गया. विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री अंजनी का शादी “महान अवसरीय कपि शिरोमणि वानरराज केसरी (Vanaraja Kesari)  से कर दिया। इस रूप में पुंजिकस्थली बजरंग बली की माता अंजनी कहलाईं। इसीलिए हनुमान को अंजनी के लाल और केसरी नंदन नाम से भी जाना जाता है।

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हनुमान का जन्म पृथ्वी पर कैसे हुआ था?

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Hanuman Janam Katha|hanuman birth story in Hindi 

जन्म कथा: एक बार वानरराज केसरी घूमते-घूमते प्रभास तीर्थ स्थल के पास पहुँच गये। उसने देखा कि वहाँ बहुत से साधु (ऋषि-मुनि) आये हुए थे। उनमें से कुछ ऋषि किनारे पर बैठकर पूजा-अर्चना और तप कर रहे थे। उसी समय एक विशाल हाथी वहां आया और ऋषियों को मारने की कोशिश करने लगा। ऋषि भारद्वाज एकदम शांत होकर अपने आसन पर बैठे हुए थे, तभी उस दुष्ट हाथी ने उनके ऊपर आक्रमण कर दिया। तभी पास की पर्वत चोटी से राजा केसरी ने हाथी को उत्पात मचाते देखा तो वे तुरंत वहा आकार बलपूर्वक हाथी को वहा से भगा दिया इससे ऋषि प्रसन्न हुए और बोले- 'वर माँगो वानरराज' तो केसरी ने पुत्र योग का आशीर्वाद मांगा, और कहा ' है प्रभु, कृपया मुझे एक ऐसा पुत्र होने का वरदान दे जो आपनी इच्छा के अनुसार कोई भी रूप धारण कर सके, वायु के समान शक्तिशाली और रुद्र के समान पराक्रमी हो।' ऋषियों ने 'तथास्तु' कहा और चले गये।

माता अंजनी का क्रोधित होना

कुछ दिन बाद माता अंजनी मानव का रूप धारण करके पर्वत पर बैठकर डूबते सूरज की सुंदरता को निहार रही थी। तभी अचानक तेज आंधी चलने लगीं उन्होने चारों ओर देखा लेकिन आसपास के पेड़ों पर पत्ते भी नहीं हिल रहे थे। उन्हें लगा कि कोई राक्षस अदृश्य होकर उनके साथ दुष्टता कर रहा है। वह ऊंचे स्वर से बोली-यह कौन दुष्ट राक्षस है जो मुझ जैसे पतिव्रता स्त्री का अपमान करने की चेष्टा कर रहा है?

भगवान शिव ने जन्म रूपी अवतार लिया था

हनुमान जी जन्म कथा हिंदी में
"हनुमान जयंती स्पेशल हनुमान जन्म कथा"

तभी अचानक वहा पवन देव प्रकट हुए और बोले- देवी आप क्रोध (Anger) न करें और मुझे क्षमा कर दें। ऋषियों ने तुम्हारे पति को मेरे समान पराक्रमी पुत्र होने का आशीर्वाद दिया है, उन्हीं महात्माओं के वचनों से विवश होकर मैंने आपके शरीर का स्पर्श (Touch) किया है। मेरे अंश से आपको अत्यंत तेजस्वी संतान की प्राप्त होगी। और उन्होंने कहा- भगवान रूद्र यानी शिव मेरे स्पर्श से आपमें प्रवेश कर गये हैं। वह तुम्हारे पुत्र के रूप में पृथ्वी पर प्रकट होगा। इस प्रकार श्री रामदूत हनुमानजी का जन्म वानरराज केसरी और माता अंजनी के घर हुआ।


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हनुमान जी की जन्म से संवदित सवाल (FAQ)

प्रश्न: माता अंजना और पिता केसरी से पैदा होने के बावजूद हनुमान जी को 'पवन पुत्र' क्यों कहा जाता है?

उत्तर: हनुमान जी को अंजना और केसरी का पुत्र माना जाता है, लेकिन उन्हें वायु का पुत्र भी माना जाता है जिसका अर्थ है 'Son of wind’ (हवा के देवता) 'वायु का पुत्र.’ या 'पवन देवता का पुत्र' ऐसा इसलिए है क्योंकि हनुमान जी का जन्म सामान्य तरीके से नहीं हुआ था बल्कि पवन देव के आशीर्वाद से हुआ था और इसलिए उन्हें 'पवन पुत्र' नाम से जाना जाता है। कुछ पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार इन्हें भगवान शिव का 11 वा रुद्र अवतार भी माना गया है।

प्रश्न: पवन देव हनुमान जी के पिता कैसे हैं?

उत्तर: हिंदू पौराणिक कथाओं में, बजरंगबली को "पवन पुत्र" भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है "पवन देवता का पुत्र" क्योंकि “हनुमान जी सामान्य तरीके से नहीं जन्मे थे बल्कि उन्हें पवन देवता (जिन्हें हवा के भगवान भी कहा जाता है) उनके आशीर्वाद से जन्म हुआ था। इसलिए हनुमान जी पवन पुत्र कहलाएं।

प्रश्न: पिछले जन्म में हनुमान जी कौन थे?

उत्तर: पूर्व जन्म में कौन थे हनुमान, हनुमान जी भगवान शिव जी के 11वे रुद्र अवतारों में से एक थे। इस मान से हनुमान पिछले जन्म में भगवान रुद्र थे।

प्रश्न: शिव पुराण के अनुसार हनुमान का जन्म कैसे हुआ?

उत्तर: पौराणिक कथाओं के अनुसार जब शिव जी ने भगवान विष्णु जी को मोहिनी रूप में देखा। उसे तीव्र इच्छा हुई और वासना में लिप्त हो गए। जब भगवान शिव अपना वीर्य त्याग किया। तो हवा के देवता “पवनदेव ने उस वीर्य को अंजना के गर्भ में डाल दिया। उसके बाद चैत्र पूर्णिमा के विशेष दिन पर अंजना के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ।


(Disclaimer: यहां दी गई सूचनाएं और जानकारियां सामान्य जानकारी व पौराणिक कथाओं और तथ्यों पर आधारित हैं. Gyani bauaa इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले विषय से संबंधित किताबे जरुर पढ़े, इस लेख से संबंधित कोई शिकायत हो तो हमसे संपर्क करें)


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