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सेंटिनल जनजाति हजारों वर्षों से दुनिया से अलग-थलग
अंडमान निकोबार द्वीप समूह परर रही है.ऐसा माना जाता है कि वे इसलिए दुनिया से अलग रह रहे हैं क्योंकि वे आम लोगों की बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं.
भारत के मानवशास्त्री त्रिलोकनाथ पंडित एकमात्र व्यक्ति हैं जो इस जनजाति से संपर्क स्थापित करने में सफल रहे थे. उन्होंने वर्ष 1966 से 1991 के बीच इस द्वीप की कई यात्राएं की थीं.
सेंटिनल जनजाति हजारों वर्षों से दुनिया से अलग-थलग
अंडमान निकोबार द्वीप समूह परर रही है. ऐसा माना जाता है
कि वे इसलिए दुनिया से अलग रह रहे हैं क्योंकि वे आम लोगों की बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं.
सेंटिनल जनजाति द्वारा एक अमेरिकी पर्यटक की हत्या की घटना आजकल चर्चा में है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि अमेरिकन पर्यटक जॉन एलेन चाऊ सेंटिनल द्वीप पर ईसाई धर्म का प्रचार करना चाह रहे थे लेकिन सेंटिनल जनजाति के आदिवासियों द्वारा उनकी तीरों से हमला करके हत्या कर दी गई.
सेंटिनल जनजाति के बारे में 7 रोचक तथ्य
1 • इन द्वीप समूहों की जनजातियों के लोग नजदीक के रिश्ते में शादी नहीं करते.
2 • इन्होंने अब तक न नमक खाया है और न ही शक्कर का स्वाद चखा है. कहा जाता है कि ये लोग आग जलाना भी नहीं जानते हैं.
3 • जानकारी के अनुसार इस जनजाति के बच्चे अपने पैरों पर खड़े होने लगते हैं, तभी से ही उन्हें तीर-भाला बनाने का प्रशिक्षण देने लगते हैं ताकि वे बड़े होकर हुनरमंद बनें और सम्मान पा सकें.
4 • सेंटिनल जनजाति के लोग न खेती करते हैं और न ही जानवर पालते हैं. ये फल, शहद, कंदमूल, सुअर, कछुआ, मछली का सेवन करते हैं.
5 • इस जनजाति से संपर्क स्थापित करने वाले भारतीय मानवशास्त्री त्रिलोकनाथ पंडित के अनुसार इनके समूह का कोई मुखिया नहीं होता लेकिन तीर, भाला, टोकरी, झोपड़ी आदि बनाने वाले हुनरमंदों को सम्मान दिया जाता है.
6 • बीमार होने पर सिर्फ जड़ी-बूटियों और पूजा-पाठ का सहारा लिया जाता है. ये जनजातियां भूत-प्रेतों को भी बहुत मानती हैं.
7 • इन जनजातियों में यदि किसी की मृत्यु झोपड़ी में हो जाती है, तो उस झोपड़ी में कोई नहीं रहता, सेंटिनल जनजाति की विभिन्न प्रथाएं भी हैं जिसमें कुछ काफी रोचक हैं. जैसे, इनकी नजर में अच्छे और बुरे भूत होते हैं तथा वे इनकी पूजा भी करते हैं.
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