Baba Ganinath Photo |
कोन थे बाबा गनीनाथ ? गणिनाथ जीवन परिचय
बाबा गणिनाथ जी महाराज एक हिंदू संत "महात्मा" और कुल देवता थे, जिन्हें हलवाई और कानू समुदाय के लोग "कुलदेवता" (सामुदायिक देवता) या "कुलगुरु" के रूप में पूजा जाता है। तो आए जानते हैं बाबा गणिनाथ की जीवनी
{tocify} $title={Table of Contents}
$ads={1}
बाबा गणिनाथ को गणिनाथ जी नाम सी भी जाना जाता हैं, उनके चाहने वाले या उनका भक्त उन्हें भगवान शिव का अवतार रूपी मानते हैं। भारत सरकार डाक विभाग द्वारा उनकी स्मृति और सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था। यह डाक टिकट संचार राज्य मंत्री और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने 23 सितंबर 2018 को जारी किया था।
बाबा गणिनाथ जीवनी इन हिंदी (baba ganinath biography in hindi
स्वामी गणिनाथ जी का जन्म मंसाराम से हुआ था, वह बिहार के वैशाली जिले गंगा नदी के किनारे रहते थे। कई किंवदंती के अनुसार, उन्होंने बचपन से ही चमत्कार मैजिक दिखाना शुरू कर दिया था। उनके चमत्कारों को देखकर लोगों ने शिव अवतारी मानते थे। तभी से लोग उनका नाम "गणिनाथ" रखा था। विक्रम संवत 1024 में, उन्होंने विक्रमशिला विश्वविद्यालय में भाग लिया और तप और योग के बल से साथ आठ सिद्धियों और नौ 'निधि' में महारत हासिल की। उनका विवाह चंदेल के राजा "राजा धंग" की सौ पुत्री खेमा से हुई थी। गणिनाथ महाराज के 3 पुत्र और 2 पुत्री के पिता बने पुत्र का नाम क्रमरायचंद्र, श्रीधर, गोविंद, सोनामती और शिलमती थे। वो अपने जीवन काल में तप और योग से बहुत सारी शिद्दिया हासिल करी थी।
यह भी पढ़े - भोलालाल दास:- मैथिलीक प्रचार-प्रसारमे ई अपन जीवन समपित कएने छलाह। Bholalal Das Maithili Mahaprush
विक्रम संवत 1060 में गणिनाथ एक महान राजा बन गए राजा बनने के बाद, गणिनाथ ने अपने पूर्वज राजाओं द्वारा जीते गए सभी राज्यों को एकीकृत किया, ताकि उनमें स्वशासन और व्यवस्था स्थापित कर सके। प्रेम, सहअस्तित्व और करुणा के साथ उन्होंने सभी राज्यों को एक राज्य में एकीकृत कर दिया।
यवनों के सासन से समाज को मुक्त कराने के लिए उन्होंने एक सेना बनाई, जिसका नेतृत्व उनके पुत्रों रायचंद्र और श्रीधर ने किया था। भीषण युद्ध में यवनों सेना की पराजय हुई। यवनों के नेता सरदार लाल खान बाबा, बाबा गणिनाथ से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए और जीवन भर उनकी सेवा की। बाबा गणिनाथ महाराज और माता खेमा ने एक साथ हाजीपुर के "पलवैया धाम" में समाधि ली थी।
गणिनाथ मेला और जयंती
गणिनाथ मेला 'प्रतिवर्ष अगस्त महीने में बाबा गणिनाथ जी की वार्षिक जयंती पर आयोजित किया जाता हैं', "गणिनाथ का मेला" की स्थापना लगभग 85 साल पहले मैडेसिया वैश्य महा सभा संघ द्वारा की गई थी। पूर्व में मेले का आयोजन बिहार के वैशाली जिले के महनार में किया जाता हैं, जहां गंगा में गणिनाथ मंदिर और देवता का क्षरण होता था। अब बाबा गणिनाथ मेला वैशाली जिले के हाजीपुर के पास "बिद्दुपुर" में आयोजित किया जाता हैं, गणिनाथ मेला "कृष्ण जन्माष्टमी" के ठीक बाद मनाया जाता हैं, गणिनाथ जयंती हलवाई, मधेसिया और कानू समुदाय द्वारा मनाई जाती है।
यह भी पढ़े - वशिष्ठ नारायण सिंह,महान गणितज्ञ और कंप्यूटर जैसा दिमाग रखनेवाले शख्स : Great mathematician and computer minded person
गणिनाथ जी के अनमोल वचन
"मुसीबतों से बचने की कोशिशें नई मुसीबतों को जन्म देती हैं।
"गिरने पर भी हर बार उठ जाना और
"गुलामी की तरह जीवन जीना, जीवन का अपमान जैसा है।”
प्रिय पाठकों गणिनाथ जीवन परिचय, Ganinath biography in Hindi, आप सब को कैसी लगी कॉमेंट करे अगर कोई मिस्टेक है या आप कै पास कोई सुझाव हैं तो कृप्या कॉमेंट जरूर करें।