दहेज प्रथा के कारण: Causes of Dowry System

दहेज प्रथा समाज की एक गंभीर बीमारी की तरह है, इस बिमारि ने न जाने कितने परिवारों की खुशियों को मिटा दिया है
Causes of Dowry System

दहेज प्रथा की कई अनगिनत कारण हेंं: Dahej Pratha Ke Kaaran

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दहेज प्रथा समाज की एक गंभीर बीमारी की तरह है, इस बिमारि ने न जाने कितने परिवारों की खुशियों को मिटा दिया है, "दहेज प्रथा समाज में एक सामाजिक अपराध भी है" जो महिलाओं पर 'प्रताड़नाओं' और अपराधों का कारण है। 'इस अपराध ने समाज के सभी तबकों में महिलाओं की जानें ली है' चाहे वह गरीब हों, मध्यम वर्ग की या धन्य। लेकिन एक गरीब हैं जो इसके चागुल में सबसे अधिक फंसते हैं,
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जिसका मुख्य वजह है जागरूकता और शिक्षा का अभाव होना। "दहेज प्रथा की वज़ह" से ही बेटियों को बेटा जितना महत्व नहीं दिया जाता है। कई बार यह देखा गया है कि उन्हें बोझ समझ लिया जाता है, 'आज समाज में दहेज प्रथा पूरी तरह अपनी जगह बना रखी है', जो की एक दस्तक की तरह है, तेजी से बढते इस प्रथा को बढ़ावा देने में हमारे समाज की अहम भूमकाएं है, यह समाज है जो 'दहेज प्रथा की जड़- को ठोस कर रही है, दहेज प्रथा की कई अनगिनत कारण हें।

जैसे की :-           इ-शादी की विज्ञापन से फैलती है दहेज प्रथा।आज के इन्टरनेट युग में शादी के लिए लड़का-लड़की इन्टरनेट के माध्यम से खोजे जाते हें,इस प्रकार की विज्ञापनों में लड़की की परिवार वाले कई बार अच्छे लड़के की आश में अपना स्टेटस और कमाई को ज्यादा बताने की भूल कर बैठते हें, जो की लड़के वालों में कभी कभी लोभ आ जाता है। इस प्रकार की लोभ शादी के बाद मांग में बदल जाते हें, जो की धीरे धीरे दहेज प्रथा का रूप ले लेता है।और दहेज की मांग होने लगती है, यही मांग "दहेज़" का बढ़ावा देते है।

 दहेज का आरम्भ कहा से होता है?, Where does dowry begin?

हमारा समाज पुरुष प्रधान है, बचपन से ही लड़कियों की मन में ये बात बिठा दिया जाता है की लडके ही घर के अन्दर और बाहर प्रधान हें, और लड़कियों को उनकी आदर और इज्ज़त करनी चाहिए। इस प्रकार की अन्ध्विस्वास लड़कियों की लड़कों के अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने की साहस की गला घूंट देते हें, और इससे बढती है लड़कियों पर अत्याचार और रूप लेता है बिभिन्न मांगों की, जो की दहेज प्रथा का रास्ता खोल देता है, 

अगर लड़की के लिए पति परेमेश्वर होता है, तो पति का सुभाब भी परेमेश्वर जैसा दयालु होना चाहिए। समाज में अपनी झूठी की सान बनाना जी हाँ चोंकाने वाला सच है, ऊँचे समाज में आज कल अपना समाजिक स्टेटस की काफी कम्पटीशन चल रहा है, 

बेटी की शादी में ज़रूरत से ज्यादा खर्च करना, कीमती तोहफे देना। लड़के वालों को मांग अधिक तोहफे देना, यही सब लड़के वालों के मन को कई बार छु जाता है, ये धीरे धीरे लड़की वाले पर दबाव बना देता है, शादी के बाद भी लड़के वालों की इस तरह के तोहफों की आदत लग जाती है,जो की धीरे धीरे मांग की रफ़्तार को आगे की ओर ले जाती है  इस तरह से दहेज प्रथा का आरम्भ होता  


बदलाव के लिए कदम उठाएं, history of dowry system in india,

कई बार तो 'दहेज प्रथा' खुद लड़की की माता पिता की गलती से भी पनपता है, अगर लड़की की सुन्दरता में कमी है, या फिर लड़की की किसी भी कमी के वजह से शादी में दिक्कत आती है, तो माता पिता लड़की की शादी को जल्द से जल्द करवाने की आड़ में "मुंह मागी दहेज" देने के लिए त्यार रहते है, और ये बात 'दहेज प्रथा' को बढ़ावा देती है, दहेज प्रथा के कारण? तो अनगिनत हें , लेकिन अब वक़्त आ गया है की हमे कारणों की नहीं, दहेज प्रथा के समाधान किया है? इसके के बारे में सोचें ,बदलाव के लिए कदम उठाएं और दहेज देना या लेना बन्द करें।

कुछ बातों को अपना कर इस प्रथा को मिटाया जा सकता है,अपनी बेटिया को शिक्षित करें। उसे अपने बेहतरीन जीवन के लिए प्रोत्साहित करें। और स्वतंत्र और जिम्मेदार होना सिखाएं। बेटी को बिना किसी भेदभाव के समानता का व्यवहार करें। 'दहेज देने या लेने की प्रथा को प्रोत्साहित ना करे', याद रखे "दहेज मागना भीख मांगने से बड़ के हैं"। बेटी बचओ बेटी पढ़ो़ओ इतना पढ़ााओ की दहेज़ ना देना पड़े ।
Arjun kashyap

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