Chaunrachan Puja: चंद्रमा और गणेश जी की खास पूजा, क्या करें और क्या न करें?
हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चौंरचान पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। ये पूजा खासकर बिहार, झारखंड और मिथिलांचल क्षेत्र बड़े ही श्रद्धा व उल्लास के साथ की जाती है। इस दिन चंद्रमा और गणेश जी दोनों की पूजा अर्चना की जाती है। मेरी मां और दादी से सुना है कि चौंरचान पूजा करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।
अगर आप भी पहली बार "चौंरचान व्रत" कर रहे हैं या इसकी सही विधि विधान को जानना चाहते हैं, तो ये लेख आपके लिए है।
{tocify} $title={जानिए इस लेख में क्या क्या है}
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क्या करें: चौंरचान पूजा की विधि
1. साफ-सफाई से शुरुआत करें
सुबह उठकर सब से पहले पूरे घर और आंगन की अच्छे से सफाई करें। पूजा स्थल को विशेष रूप से साफ और शांत रखें। चावल के आटे और हल्दी से अल्पना (अर्पण, रंगोली) बनाएं — ये बहुत ही शुद्ध और शुभ मानी जाती है।
2. पूजन सामग्री तैयार रखें
- फल, फूल, धूप-बत्ती, दीपक, पान-सुपारी, जनेऊ, नारियल
- मिट्टी या कोई भी धातु के गणेश जी और चंद्रमा की प्रतिमा
- चावल, दूब, अक्षत, दूध, दही, खीर, पूरी
- पारंपरिक पकवान जैसे मालपुआ, ठेकुआ, लड्डू आदि
3. व्रत रखें
इस दिन महिलाएं खास तौर पर उपवास रखती हैं। कुछ लोग निर्जल व्रत करते हैं, (पानी भी नहीं पीते है) तो कुछ फलाहार लेते हैं। व्रत में उपवास रखने का उद्देश्य होता है शरीर और मन की शुद्धि।
4. चंद्रोदय पर करें पूजा
जब चंद्रमा उदय होता है, तब उसे अर्घ्य दिया जाता है — यानी दूध और जल से स्नान या समर्पण कराकर मन ही मन प्रार्थना की जाती है। फिर चंद्रमा को देखने के बाद गणेश जी और चंद्र देव की पूजा आरती की जाती है।
5. गीत और आरती
पूजा के बाद महिलाएं अपनी पारंपरिक लोक गीत गाती हैं और गणेश जी व चंद्र देव की आरती करती हैं। ये एक बहुत ही सुखद और शांतिपूर्ण अनुभव होता है।
क्या न करें: कुछ सावधानी बरतें
- इस खास पूजा वाले दिन झूठ बोलना, गुस्सा करना और झगड़ना नहीं करना चाहिए।
- मांसाहार, शराब मदिरा या किसी भी तरह के नशीले पदार्थ से पूरी तरह परहेज रखें।
- पूजा के समय चंद्रमा को उंगली से इशारा करना या पीठ दिखाना अशुभ होता है।
- बिना स्नान और मन की शुद्धि किए बिना पूजा न करें।
- इस दिन बाल और नाखून नहीं काटें।
- पूजा के दौरान अपने घर की टीवी, मोबाइल या किसी तरह का शोर न हो — शांत वातावरण सबसे अधिक ज़रूरी है।
क्यों की जाती है ये पूजा?
पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण ने चंद्रमा को देखकर हँसी उड़ाई थी, जिससे उन्हें "स्यमंतक मणि" का झूठा आरोप झेलना पड़ा। तभी से इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा को दोष निवारण के रूप में भी देखा जाता है।
वैसे भी गणेश जी की पूजा विघ्नों को हरने वाली मानी जाती है, और जब चंद्र देव का साथ हो, तो मानिए आप के जीवन में उजाला ही उजाला।
अंतिम बात
चौंरचान पूजा केवल एक धार्मिक रस्म नहीं है, ये हमारे जीवन में अनुशासन, पानी आस्था और सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक माध्यम है। जब पूरा परिवार मिलकर यह पूजा करता है, पकवान बनते हैं, और चंद्रमा की शीतल रौशनी में सब मिल कर बैठते हैं — वो अनुभव बहुत अमूल्य होता है।
अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा, तो अपने मित्रों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें। और हां, इस साल चौंरचान पूजा जरूर मनाएं