बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं:- inspiring Story in Hindi,। बेटे पर हिन्दी निबंध

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“हर उन बेटे को यह लेख समर्पित जो अपने घर से मिलो दूर है”


बेटे भी घर छोड़ जाते हैं साहब।, Bete bhee Ghar Chor Kate 

जो तकिये के बैगर कहीं, भी सोने से कतराते थे, आकर त कोई देखें वो अब कहीं भी सो जाते हैं, घर के खाने में सो नखरे करने वाले, अब कुछ भी खा लेते है, अपने रूम के अंदर किसी को नहीं आने देने वाले, अब एक ही बिस्तर पर अनेकों के साथ एडजस्ट हो जाते हैं, बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
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घर को याद करते हैं मगर वो कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ, हजारों ख्वाहिश रखने वाले,अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए’…। रुपए कमाने की जरूरत में, वो अपने घर से अजनबी बन जाते हैं सालो साल परदेश में बीता लेते है लड़के भी घर छोड़ जाते हैं।

बना बनाया खाने वाले अब वो खुद खाना बनाते है, धुले-धुलाई कपड़े पहनने वाले अब ख़ुद ही कपड़ा धोते हैं माँ-बहन-बीवी का पकाया खाना अब वो कहाँ खा पाते है। कभी कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं। लड़के भी घर छोड़ जाते है

बेटे पर निबंध, beta ki kahaani in Hindi

गलियां,मोहल्ले के जाने-पहचाने रास्ते, जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते, माँ बाप दोस्त यार सब छूट जाते पीछे बस तन्हाई में उन्हें कर के याद, लड़के भी आँसू बहाते है साहब लड़के भी घर छोड़ जाते हैं


नई नवेली दुल्हन, जान से प्यारे बहिन-भाई, छोटे-छोटे बच्चे, चाचा-चाची, ताऊ-ताई , सब छुड़ा देती है, ये रोजी रोटी की कमाई। मत पूछो इनका दर्द वो कैसे छुपाते हैं, बेटियाँ ही नही साहब, बेटे घर छोड़ जाते हैं

प्रय पाठकों आप को यह लेख 'बेटे पर निबंध, beta ki kahaani in Hindi' आप सब को केसी लगी कमेंट कर के बतायें अगर कोई मिस्टेक है तो कॉमेंट करे जल्द ही उपडेंट कर दिया जाएगा  
Arjun kashyap

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