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मैथिली सायरी जे मन के छू जाईत
सपना देखैछी हम राति' दिन अहाँके ।अटूट यै बंधन कोना कहू जान अहाँके ।।अहीं हमर दिलक' रानी प्रेम कहानी छी ।खूदा सलामत राखे जिनगी जान अहाँके ।।अहींक तस्वीर छपल छै याद के पन्ना पऽ ।कोना सूनाउ हम दिलक' दास्तान अहाँके ।।अहीं छी बाट हमर अहीं मंजिल हमर ।अर्पण केलौं हम अपन ई प्राण अहाँके ।।आशिक़ी सँ अहाँ अखनि' धरि' छी अन्जान ।आउ करादैत छी "अर्जुन" सँ पहिचान अहाँके ।।
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हम युगों-युगों स हुनकर प्रेम नुका क रखने छी मुदा आँखि मे अपन अक्स नहि नुका सकलू।
कखनो काल अहाँ हमर ख्याल मे आबि जाइत छी त हम मुस्कुराइत छी
अगर एकरा प्रेम कहल जाइत अछि त हाँ हम अहाँ स प्रेम करैत छी।
प्रेम एकटा एहन सुगंध अछि जे अहाँक संग सदिखन रहैत अछि,
एकांत मे सेहो कोनो मनुक्ख कहियो असगर नहि होइत अछि
अहाँक पत्र मे प्रेमक गवाही एखनो अछि, अक्षर धुंधला अछि मुदा स्याही एखनो अछि।
मानू वा नहि मानू आहे के साथ सवर गेलू हम अहाँक प्रेमक जोश मे.. हम सब सीमा पार क' लेलहुँ।
हमर नाम आबि गेला प वो आँखि नीचाँ क’ लेलक हमर प्रेम मे असफल रहल मुदा काज भेल