विनायक दामोदर सावरकर की जीवन परिचय / Veer Savarkar Biography In Hindi/ वीर सावरकर जीवनी

वीर सावरकर एक कवि और भारतीय लेखक और साथ ही राजनेता एव स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे।
वीर सावरकर जीवनी

विनायक दामोदर सावरकर की जीवन परिचय / Veer Savarkar Biography In Hindi

वीर सावरकर एक कवि और भारतीय लेखक और साथ ही राजनेता एव स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे। वे हिंदुत्व की संस्कृति" से जातिवाद परंपरा को जर से समाप्त करना चाहते थे "हिंदुत्व का अर्थ एक हिंदू प्रधान देश निर्माण करना है।

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उनके राजनीतिक तत्वों में उपयोगिताएं, यथार्थवाद और सत्य शामिल हैं। बाद में, कुछ इतिहासकारों और राजनीतिक तत्वों ने सावरकर को  दूसरे शब्दों में बयां किया हैं।वह सिर्फ और सिर्फ भारत में हिंदू धर्म चाहता थे, उनका मानना ​​था कि भारत एक "हिंदू प्रधान" देश है। भलेही देश में हर किस्म के अलग-अलग धर्म के लोग रहते हो लेकिन दुनिया में भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में पहचान मिलनी चाहिए। इसके लिए, उन्होंने अपने जीवन में भी बहुत प्रयास किए।

विनायक दामोदर सावरकर प्रारंभिक जीवन – V D Savarkar Early Life

विनायक दामोदर सावरकर जी का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नाशिक शहर के निकट भगुर ग्राम में मराठी चित्पावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था "सावरकर के पिता का नाम दामोदर" और माता जी का नाम राधाबाई सावरकर थी.और उनके दो भाई गणेश और नारायण एवं एक बहन थी जिनका नाम मैना था। 1901 में "विनायक का शादी यमुनाबाई से हुआ" जो "रामचंद्र त्रिंबक चिपलूनकर की पुत्री थी"और उन्होंने ही विनायक को यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई  पूरा करने में  सहयोग की थी।

यूनिवर्सिटी के पढ़ाई पूरी करने के बाद 1902 में उन्होंने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में अपना एडमिशन लिया. और वे उस वक्त के एक युवा व्यक्ति के रूप में नयी पीढ़ी के राजनेता जैसे बिपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय से प्रेरणा मिली जो उस समय "बंगाल विभाजन" के विरोध में स्वदेशी मुहिम चला रहे थे.। और विनायक ने 1905 में दशहरा उत्सव के समय में विदेश में बनी वस्तुओ का बहिष्कार करने की मुहिम चलाई, ओर बहुत से स्वतंत्रता अभियान में भी भाग लिए थे. सावरकर अपने कुछ सहयोगियों साथी के साथ मिलकर " राजनैतिक पार्टी अभिनव भारत की स्थपना की"

विनायक को स्वतंत्रता कार्य को देखते हुए उन्हें कॉलेज से निकाला दिया गया था लेकिन उन्हें बैचलर ऑफ़ आर्ट की डिग्री हासिल करना था. और डिग्री के पूर्ण अध्ययन के बाद, "राष्ट्रिय कार्यकर्त्ता श्यामजी कृष्णा वर्मा" ने विनायक को शिष्यवृत्ति दिलवाई. और कानून की पढाई पूरी करने के इंग्लैंड भेजने में सहायता की,उसी समय तिलक जी के नेतृत्व में "गरम दल की स्थापना की" गयी . तिलक भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के एक उग्रवादी नेता थे और साथ ही गरम दल के सदस्य भी थे. उनके द्वारा स्थापित किये गये दल का एक मात्र उद्देश्य भारत से ब्रिटिश राज को उखाड़ फेंकना था.।

सावरकर के क्रांतिकारी अभियान /Savarkar revolutionary campaign 

"सावरकर के क्रांतिकारी अभियान की शुरुवात" तब हुई जब वे भारत और इंग्लैंड में पढ़ रहे थे, वहा वे इंडिया हाउस से जुड़े हुए थे और उन्होंने अभिनव भारत सोसाइटी और फ्री इंडिया सोसाइटी में सामिल हो कर स्टूडेंट सोसाइटी की भी स्थापना की उस वक्त देश को "ब्रिटिशो सासन" ने अपनी बेडियो में जकड़ कर रखा हुआ था यह सब देख कर उन्होंने द "इंडियन वॉर" का प्रकाशन किया जो देश को आज़ादी दिलाने के उद्देश्य में किया गया था और 1857 में स्वतंत्रता की प्रथम क्रांति के बारे में भी प्रकाशित किया था लेकिन उसे ब्रिटिश शासक के कर्मचारियों ने बैन कर दिया

भारतीए क्रांतिकारी ग्रुप इंडिया हाउस के साथ उनके घनिष्ठता  होने के वजह से 1910 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. जेल में रहते हुए "जेल से बाहर आने की सावरकर ने कई बार कोशिश की" लेकिन वे बाहर आने में विफल होते गये. उनको बार बार बाहर आने की कोशिशो को देखते हुए उन्हें "अंडमान निकोबार की सेलुलर जेल" में कैद कर दिया गया लम्बी समय जेल में बिताने के बाद आखिर कार 1921 में उन्हें प्रतिबंधित समझौते के तहत रिहा कर दिया गया था.की वे दोबारा  कभी  "स्वतंत्रता आन्दोलन" में वे सहभागी नही रहेंगे.

Savarkar के भारत छोडो आन्दोलन/Savarkar Quit India Movement

जेल में कैद रहने के दरमियान में उन्होंने हिंदुत्व के बारे में लिखा. बाद में सावरकर ने अपने लम्बी लग्न और मेहनत से एक अच्छे  अंभूबी लेखक बने, अपने लेखो के माध्यम से वे लोगो को हिंदु एकता और हिंदुत्व के ज्ञान और जागरूता को विस्तार करते थे. और "हिंदु महासभा के अध्यक्ष" भी चुने गए, अपने पद के कार्यकाल में वह हिंदुत्व के लिए सेवा दिए, ओर भारत को एक हिंदु राष्ट्र के रूप मे देखना चाहते थे  इसलिए वे "हिंदु राष्ट्र" बनाना चाहते थे 

कुछ समय बाद 1942 में उन्होंने "भारत छोडो आन्दोलन" में सामिल हो गए और इस आन्दोलन में अपने साथियो का साथ दिए. उस वक्त वे "भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस" के उग्र आलोचक बन गए  और उन्होंने कांग्रेस द्वारा भारत विभाजन के संभर्द में लिये गये निर्णय को बहुत आलोचना की और भारतीय नेता "मोहनदास करमचंद गांधी" की हत्या का आरोफी भी ठहराया गया था लेकिन कोर्ट ने उन्हें निर्दोष पाया गया.

अन्तकाल का जीवन और मृत्यु : विनायक दामोदर सावरकर की जीवनी

जब सावरकर को गांधीजी की हत्या का दोषी माना गया था तभी मुंबई के दादर में स्थित उनके घर पर पथराव किया गया था और कोर्ट की करवाई में वे निर्दोष पाए गए और जेल से बाहर आ गए  कुछ समय बाद उनपर “भड़काऊ हिंदु भाषण” देने की लगाया गया था की वह “भड़काऊ हिंदु भाषण” देते है करवाई की गई तो उन्हें पुनः निर्दोष पाया गया और रिहा कर दिया गया. लेकिन उन्होंने अपने हिंदुत्व के लोगो को जागृत करना नही छोड़ा, उनके भाषणों पर बैन लगने के बावजूद वे राजनैतिक गतिविधिया करते थे.

अंतिम समय तक वे हिंदु धर्म का प्रचार करते रहे। इसलिए उन्हें अनेकों पुरस्कार से सम्मानित भी किए गये थे, ओर 1966 में उनकी मृत्यु के बाद उन्हें सम्मानित किया गया उनकी अंतिम यात्रा में RRS के सदस्यों ने अंतिम विदाई दी और उनके सम्मान में “गार्ड ऑफ़ हॉनर” भी किया था. 

Vir Savarkar jayanti kab hai

और 28 मई को भारत में स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर "वीर सावरकर" की जयंती मनाई।

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