सावन के महीने को इतना पवित्र क्यों माना जाता है, What Is Importance Of Shravan Month in Hindi, Fasting In Shravan, Shravan Purnima, सावन के महीने की क्या विशेषता है? जानिए विस्तार से Shravan Maas Ka Mahatva
Importance Of Shravan Maas: हिंदू धर्म में “श्रावण मास” को एक पवित्र महीना माना जाता है यह पूरा महीना भगवान शिव शंकर को समर्पित होता है। यहां हम विस्तार से जानेंगे कि (सावन का महीना पवित्र क्यों माना जाता है?, सावन के महीने की क्या विशेषता है?, और सावन के महीना में क्या नहीं करना चाहिए?) तो आईए जानते हैं। importance of shravan month in Hindi
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सावन का महीना पवित्र क्यों माना जाता है?
पौराणिक काल से ही हिंदू धर्म में “सावन महीना” को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह संपूर्ण महीना आराध्य देव भगवान शिव को समर्पित है। हिंदू पंचांग में पाँचवा माह श्रावण मास होता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और शिवभक्ति में लोग विशेष रूप से लीन रहते हैं।
यह भी पढ़े - कार्तिक मास देवउठनी एकादशी व्रत कथा | Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha in Hindi, कार्तिक मास का महत्त्व
श्रावण मास का क्या महत्व है?
कार्तिक माह को विष्णु का प्रमुख माह और श्रावण माह को शिव का प्रमुख माह माना जाता है। जिस तरह इस्लाम में रमज़ान का महीना उपवास का महीना है, उसी तरह हिंदू धर्म में सावन और कार्तिक का महीना उपवास का महीना है। और यहां सावन माह का सबसे अधिक महत्व है। हालाँकि, कुछ व्रत जैसे-एकादशी, चतुर्दशी आदि.. पूरे वर्ष जारी रहते हैं लेकिन चातुर्मास “श्रावण माह” और कार्तिक माह की महिमा वेदों और पुराणों में वर्णित है।
श्रावण मास के पवित्र दिन
सावन के महीने को इतना पवित्र क्यों माना जाता है, इस महीने के सोमवार के अलावा पूरे महीने पवित्र दिन होता है। जैस मंगला गौरी व्रत, गणेश चतुर्थी, मौना पंचमी, कामिका एकादशी, ऋषि पंचमी, कल्कि अवतार शुक्ल 6, हिंडोला व्रत , हरियाली अमावस्या, नागपंचमी, विनायक चतुर्थी, पुत्रदा एकादशी, वर लक्ष्मी व्रत, त्रयोदशी, बहुला व्रत, और पिठोरी, पोला, नारली पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा, (Shravan Purnima) शिव चतुर्दशी, रक्षा बंधन। आदि दिन सामिल है।
ज्योतिष विज्ञान
श्रावण मास क्यों शुभ है: हिंदू कैलेंडर (पंचांग) की शुरुआत चैत्र माह से होती है। चैत्र माह से पांचवा महीना श्रावण माह होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस माह की पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र का योग होता है। इसलिए सावन महीना का नाम श्रवण नक्षत्र के नाम पर रखा गया। इसी माह से चातुर्मास प्रारंभ होता है। चातुर्मास के चार महीनों में से श्रावण महीना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- धर्म की दृष्टि से तीसरे पूजनीय भगवान शिव ही हैं। भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो साकार भी हैं और निराकार भी। श्रीविग्रह साकार मूर्त है, परंतु शिवलिंग निराकार है। भगवान शिव रूद्र हैं।
पौराणिक मान्यताओं
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान और शैतान ने समुंद्र मंथन, किया तो एक विषैला पदार्थ हलाहल निकला। इसके प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि में अराजकता (हलचल) फैल गई। इस बीच, महादेव ने ब्रह्मांड की रक्षा के लिए हलाहल जहर पी लिया। लेकिन जहर कंठ से नीचे नहीं उतरा विष के प्रभाव उनका कंठ नीला पड़ गया। तभी से शिवजी को नीलकंठ भी कहा जाने लगा।
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विष पान करने से शंकर जी के शरीर का ताप बढ़ने लगा तो पूरे महीने मूसलाधार बारिश हुई जिससे विष का प्रभाव कुछ कम हुआ. लेकिन अत्यधिक वर्षा और बाढ़ से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने मस्तिक पर चांद धारण किया. भगवान शिव को चंद्रमा से ही शीतलता प्राप्त हुई थी। यह घटना सावन के महीने में घटी थी. इसलिए इस महीने का बहुत महत्व है और तभी से हर साल भगवान शिव को जल अर्पित करने की परंपरा शुरू हो गई है।
सावन महीने का महत्व और विशेषता
सावन के महीने की क्या विशेषता है: श्रावण हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र महीना है। यह महीना हर साल सावन महीने के पहले सोमवार से शुरू होता है और श्रावण महीने के आखिरी सोमवार को समाप्त होता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा होती है और शिवभक्ति में लोग विशेष रूप से लगे रहते हैं।
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सावन के महीने में क्या खास है? और परंपराएं
शिवलिंग पूजा: सावन में लोग शिवलिंग पर जल धारते हैं। और शिवलिंग को जल, बेलपत्र, धूप, फल, पुष्प आदि से अर्चित करने का समय माना जाता है।
- कांवड़ यात्रा: श्रावण मास में शिव भक्त अपने घर से कावड़ यात्रा पर निकले हैं और हरिद्वार, सुलतान गंज, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि पवित्र स्थलों से गंगा जल लेकर शिव मंदिरों में दर्शन करने और जल चढ़ाने के लिए जाते हैं। इसे ही कांवड़ यात्रा कहते हैं।
- शिवरात्रि: सावन महीने की एक और महत्वपूर्ण दिन है शिवरात्रि, जो भगवान शिव शंकर को समर्पित है। इस दिन भोले बाबा की पूजा पूरी श्रद्धा से की जाती है, देर रात्रि तक जागरण और विशेष प्रार्थना की जाती है।
- सोमवार व्रत: श्रावण मास में हर सोमवार को शिव जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन शिव भक्त व्रत (Shravan Month Fast) रखते हैं और शिवजी के मंत्रों का जाप और पूजा करते हैं।
- गंगा जल का महत्व: सावन महीने में शिवलिंग पर गंगा जल का अभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। लोग इस पवित्र जल को अपने घरों में भी लेकर आते हैं और पूजा-अर्चना में इसका उपयोग करते हैं।
श्रावण मास से संबंधित सवाल (FAQ)
प्रश्न: श्रावण मास क्या है?
उत्तर: श्रावण मास हिन्दू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना होता है, जो जुलाई-अगस्त के दौरान आता है। इसे शिव जी का पवित्र महीना माना जाता है और भक्त विशेष पूजा-पाठ और व्रत रखते हैं।
प्रश्न: श्रावण मास में किस देवता की पूजा की जाती है?
उत्तर: श्रावण मास में भगवान शिव जी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्वपत्र आदि अर्पित करते हैं और भोले बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं।
प्रश्न: श्रावण सोमवार का महत्व क्या है?
उत्तर: श्रावण मास के सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि यह शिव जी को समर्पित होता है। इस दिन लोग व्रत रखकर शिव की पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। यह माना जाता है कि श्रावण में सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।
प्रश्न: श्रावण मास में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
उत्तर: श्रावण पवित्र महीना माना जाता है इसीलिए मांसाहार भौजन और मदिरा से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा, प्याज और लहसुन का सेवन भी नहीं करना चाहिए। भक्त ज्यादातर फल, सब्जियाँ, और विशेष व्रत आहार जैसे साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, और दूध का सेवन करते हैं।
प्रश्न: श्रावण मास में कौन-कौन से त्यौहार मनाए जाते हैं?
उत्तर: श्रावण में कई प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे नाग पंचमी, रक्षाबंधन, तीज, और कृष्ण जन्माष्टमी। इन सब त्यौहारों का एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है और इन्हें धूमधाम से मनाया जाता है।”
समाप्ति
प्रिय मित्रों इस लेख में हमने सावन का महीना पवित्र क्यों माना जाता है? और सावन के महीने की क्या विशेषता है? इससे जुड़ी जानकारी देने की कोशिश की है, सावन का महीना श्रद्धा से “भगवान शिव की भक्ति” पूजा और ध्यान का एक महत्वपूर्ण समय है। इस माह के दौरान लोग अपने मन, वचन, आत्मा और कर्म से शिवजी की निकटता प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह जानकारी आपको कैसा लगा कमेंट जरुर करिए धन्यवाद।