Gymnastics Dipa Karmakar Biography in Hindi | दीपा कर्माकर के संघर्ष की कहानी

Olympics 2016 Dipa Karmakar रियो ओपलंपिक RIO Olympic 2016 तक पहुचने वाली पहली भारतीय महिला दीपा कर्मकार ( Dipa Karmakar ) की जीवन 

बचपन से ही जिम्नास्टिक में दिलचसपी थी

दीपा कर्मकार ( Gymnastics Player ) का जन्म 9 अगस्त 1993 अगरतला त्रिपुरा में हुआ और महज 6 साल की उम्र से ही दीपा को जिम्नास्टिक में दिलचसपी थी इस ले वो अपने बचपन में है जिम्नास्टिक की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी , किसी को क्या पता थी की खेल खेल में शुरू की कई यह प्रक्टिस एक दिन यही भारत का नाम रोशन करेगी  दीपा कर्मकार के कोच है बिस्बेश्वर नंदी जब दीपा अपने कोच के पास पहली बार गयी थी तो कोच के सामने सबसे बड़ी समस्या थी दीपा के पैर में curve ना होना जो जिम्नास्टिक में बहुत ही ज़रूरी होता है, इसके बिना जिम्नास्टिक में छलाग लगाने में दिक्कत होती है, कई साल अपने लगन ओर मेहनत से दीपा जिम्नास्टिक फील्ड में माहिर हो गई ,

2007 में Junior Nationals  जलपाईगुड़ी में दीपा ने मैडल जीती तब से दीपा ने 77 मैडल जीते हैं जिसमे से 67 सवर्ण पदक मैडल जो राष्टीय ओर अंतराष्टीय खेल में जेते है, दीप ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने कोच को दिया, 2010 में दीपा ने कॉमन वेल्थ गेम (Common wealth Game ) में हिस्सा लिया और उसने आशीष कुमार को जिम्नास्टिक में जीतते हुए देख उसी दिन से दीपा ने प्रण किया की भारत का नाम जिम्नास्टिक में रोशन करुँगी 

2016 Olympics यादगार

52 साल के ओलेमिक इतिहास में प्रथम भारतीय महिला दीपा कर्माकर है जो 2016 में gymnastic हिस्सा ली थी ओर फाइनल में प्रवेश कर वह मामूली अंतर से कांस्य पदक की सफलता में चूक गईं और चौथे स्थान पर रहीं। प्रोदुनोवा वॉल्ट का सफल प्रदर्शन आज तक दुनिया में मात्र 5 जिम्नास्ट ही सफलतापूर्वक पूरा किया हैं ,दीपा ने प्रोदुनोवा वॉल्ट का सफल प्रदर्शन की थी

भले ही वह पदक नहीं जीत पाई लेकिन इस उपलब्धि नें उन्हें पूरे भारत में प्रसिद्ध कर दिया। भारत के महान क्रिकेटर ने तारीफ करते हुए कहा - जीतना और हारना खेल का एक हिस्सा है। आपने लोगों के दिल जीत लिए और पूरे देश को आपकी इस उपलब्धि पर गर्व है। बीजिंग ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीत चुके भारतीय निशानेबाज़ ने भी कहा - दीपा कर्मकार आप मेरी हीरो हैं। 

संघर्ष की शुरुवात दौर

दीपा के माँ के अनुसार, उनकी बेटी दीपा ने पहली प्रतियोगिता में उधार में कपडे खरीदे थे और उनके पास अपनी जूती भी नहीं थी लेकिन अब उसने सबको चौक दिया है ।

दीपा के शब्द-  जिम्नास्टिक को पहले सर्कस ही समझा जाता था पर अब लोगो की सोच में बदलाब आ रहा है । जिम्नास्ट में मेरा एक गलत मूव मेरी जान तक ले सकता है। लेकिन में मानती हु की बिना रिस्क के कुछ नही पाया जा सकता है, जब मैं वॉल्ट करना शुरू करती थी तो मेरे कोच बहुत डरे हुए रहते थे, उन्हें लगता था कि मैं अपनी गर्दन तोड़ बैठूंगी या फिर जान से हाथ धो लुगी लेकिन में यह करने में उतावली रहती थी और कुछ नया कर दिखाने का जोश से भरी रहती थी, 

 Dipa Karmakar की सफलता 

2011- में दीप ने  2011 National Games of India में त्रिपुरा को REPRESENT  किया और 5 स्वर्ण पदक जीते, 

2014 Common Wealth Games में कांस्य पदक जीते ,

2015 Asian Championships जापान में कांस्य पदक भी जीते

2016 में 1964 के बाद जिम्नास्टिक में भाग लेने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी,

यहाँ चाह है वहीं राह है यह बात दीप कर्मकार पर एकदम फिट बैठती है , पैरो का जिम्नास्टिक के अनुकूल न होने पर भी अपनी मेहनत के बल पर दीपा आज भारत का नाम रोशन कर रही है, हमें और आज के युवा और युवतियों को दीपा कर्मकार की जिंदगी से सबक खिकना चाहिए, केसे कठिन परिस्थिति में भी वो अपना प्रण नहीं छोड़ा, हम आशा करते है की वह भारत को RIO Olympic में सवर्ण पदक दिलाएंगी ।



Arjun kashyap

We love to write unique content related to News, Tips, Facts, Reviews and many more. When you guys share my article, I get inspired to write better. facebookJoin us on

Post a Comment

Previous Post Next Post