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दोस्तो प्रमात्मा ने हमे बनाया हैं ओर हमारे शर्रीर के देख भाल भी प्रमात्मा ही करते हैं उधार "मकर संक्रांति का त्योहार" मान लिजीऐ! आप सब जानते होगे की ठंडी मे हमारे Body को गरमाहट के लिऐ खान पान पर भी विशेष धयान रखनी चाहीऐ ! गुर तिल घी गोण्द बाजंरा आदी चीजे खानी जाहीऐ ! "मकर संक्रांति विशेष रूप से ऐक ऐसा तोयौहार हैं जो हमे गुड़ तिल और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है।"
संक्रांति त्योहार कब और कैसे मनाया जाता है?, When and how is Sankranti festival celebrated?
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मकर संक्रांति का त्योहार "हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों" में शामिल है, जो सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी को ही मनाया जाता है, जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। कभी-कभी यह एक दिन पहले या बाद में यानि 13 या 15 जनवरी को भी मनाया जाता है लेकिन ऐसा कम ही होता है। मकर संक्रांति का संबंध सीधा पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब भी सूर्य मकर रेखा पर आता है, वह दिन 14 जनवरी ही होता है, अत: इस दिन "मकर संक्रांति का तेहार" मनाया जाता है।ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है।
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भारत के अलग-अललग क्षेत्रों में "मकर संक्रांति के पर्व" को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। मिथीला मे "तिला संक्रांईत" आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे "पोंगल पर्व" के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और "लोहड़ी पर्व" मनाया जाता है, वहीं असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है। हर प्रांत में इसका नाम और मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। और "मिथीला मे तिला संक्रांईत के नाम से मनाया जाता हैं"। और परौप्र्कार के गुर लाई ( लड्डु) बनाया जाता हैं
खान पान प्रमुख पहचान है संक्रांति का त्यौहार।
अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और "चावल की खिचड़ी" इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है। विशेष रूप से गुड़ और "घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है"। इसेक अलावा "तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है"। इस दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन कर स्नान किया जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ के लड्डू एवं अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इस समय सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री का आदान प्रदान भी करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।
मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवत प्रसन्न होते हैं। इन सभी मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति पर्व एक उत्साह और भी जुड़ा है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है और लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन भी किए जाते हैं।
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दोस्तों आप को केसा लगा हमे जरुर बताऐ कुछ गलती है लिखने मे तो कोम्मेंन्ट कर के हमे बताऐ !