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यह माना गया है कि आर्य भारत के मूल निवासी नहीं थे | कुछ इतिहासविद कहते हैं कि आर्यन का वास्तविक घर मध्य एशिया में था | दूसरे इतिहासविदों का मत था कि इनका वास्तविक घर दक्षिणी रूस ( कैस्पियन समुद्र के पास ) या दक्षिण-पूर्व यूरोप (ऑस्ट्रिया और हंगरी) में था | वे आर्य जो भारत में बस गए थे, इंडो-आर्यन कहलाए | बाल गंगाधर तिलक कहते थे कि आर्यन साइबेरिया में बसे थे परंतु गिरते तापमान की वजह से उन्होने हरियाली के लिए साइबेरिया छोड़ दिया था
भौतिक जीवन
• ऋग वैदिक आर्यन अपनी सफलता का श्रेय उनके घोड़ो, रथों और पीतल के हथियारों के प्रति समझ को देते थे |
• वे राजस्थान के खेत्री प्रांत से तांबे का कारोबार करते थे |
• बुवाई, कटाई और खलिहान के लिए आर्यन लकड़ी के हलों का हिस्सेदारी में प्रयोग करते थे |
• आर्यन की सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति गाय थी |
• आर्य जोकि देहाती थे, इनकी ज़्यादातर लड़ाइयाँ गाय के तबेलों पर नियंत्रण के लिए होती थीं | इन लड़ाइयों को ऋग्वेद में गवीस्थि या गायों की खोज कहा जाता था |
• जमीन को निजी संपत्ति के रूप में नहीं देखा जाता था |
• तांबा, लोहा और पीतल जैसे धातुओं का प्रयोग होता था |
• कुछ लोग सुनार, कुम्हार, सूत कातने वाले और बढ़ई का काम करते थे |
• आदिवासी मुखिया को राजन कहा जाता था और उसका स्थान वंशानुगत होता था |
• राजा के साथ आदिवासी सभाएं जैसे सभा, समिति, गण और विधाता भी निर्णय लेनी की ताकत रखते थे |
• पूर्व वैदिक काल में महिलाएं भी सभा और विधाता में भाग ले सकती थीं |
• दो मुख्य पदाधिकारी जो राजा की मदद कर सकते थे
पुरोहित या मुख्य पंडित
II. सेनान्त या सेना प्रमुख
• वैदिक युग में लगाए गए कर बाली व भाग थे |
• गलत काम करने वालों पर नज़र रखने के लिए जासूस नियुक्त किए गए थे |
• वे अधिकारी जो गाँव में बस गए थे और ज़मीन पर कब्जा कर लिया था उन्हे व्रजपति कहते थे |
• व्रजपति क्षेत्र सेना की नियंत्रण में थे और परिवारों (कुलपा )के मुखिया और युद्ध के लिए सेना बटालियनों (ग्रामणि कहते थे) का नेतृत्व करते थे |
• आर्यन के पास स्थायी सेना नहीं थी पर वे कुशल सेनानी थे |
• वे प्रकृति से आदिवासी थे और इसलिए इनकी निश्चित प्रशासनिक व्यवस्था नहीं थी क्यूंकि वे लगातार घूमते रहते थे |
आदिवासी और परिवार
• लोगों को उनकी जाति से पहचाना जाता था|
• आर्यन के जीवन में आदिवासी (जन या विस ) एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करते थे |
• विस आगे ग्राम या योद्धाओं से बनी हुई छोटी आदिवासी इकाइयों में विभाजित था |
• जब दो ग्राम आपस में एक दूसरे से लड़ते थे, उससे संग्राम या युद्ध कहा जाता था |
• ऋग्वेद में परिवार के लिए कुल या गृह शब्द प्रयोग किया गया है |
• आर्य सयुंक्त परिवार में रहते थे |
• रोमन की तरह वे पितृसत्ता को मानते थे जैसे परिवार का मुखिया पिता होता था |
• लोग बेटों को बेटियों से ज्यादा पसंद करते थे और बलिदान के समय इसके लिए प्रार्थना भी करते थे |
• महिलाएं राजनीतिक सभाओं में भाग ले सकती थीं और अपने पतियों के साथ बलिदान भी कर सकती थीं |
• ऋग्वेद में एक से अधिक पति रखने का भी वैवाहिक नियम था और ऐसे कई घटनाएँ हैं जिसमे मृत भाई की पत्नी से विवाह किया गया हो और विधवा का दोबारा विवाह किया गया हो |
• बाल विवाह के कोई भी साक्ष्य मौजूद नहीं हैं और विवाह के लिए 16 या 17 वर्ष उपयुक्त मानी गई है |
सामाजिक विभाजन
• आर्य वर्ण के प्रति सचेत थे और उन्होने वर्ण के आधार पर जातिय भेदभाव शुरू कर दिया |(शाब्दिक अर्थ रंग )
• आर्य मूल निवासियों से रंगरूप में गोरे थे जिसने सामाजिक प्रणाली को जन्म दिया |
• दास और दस्यु से गुलामों की तरह व्यवहार किया जाता था और शूद्र को जाति प्रणाली में सबसे निम्न दर्जा दिया गया था |
• आदिवासी मुखिया युद्ध में लूटे गए माल में सबसे ज्यादा हिस्सा प्राप्त करता था और ताकतवर हो जाता था |
• ईरान की तरह आदिवासी समाज तीन दलों में विभाजित हो गया :
I. योद्धा
II. पुरोहित
III. आम लोग
भौतिक जीवन
• ऋग वैदिक आर्यन अपनी सफलता का श्रेय उनके घोड़ो, रथों और पीतल के हथियारों के प्रति समझ को देते थे |
• वे राजस्थान के खेत्री प्रांत से तांबे का कारोबार करते थे |
• बुवाई, कटाई और खलिहान के लिए आर्यन लकड़ी के हलों का हिस्सेदारी में प्रयोग करते थे |
• आर्यन की सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति गाय थी |
• आर्य जोकि देहाती थे, इनकी ज़्यादातर लड़ाइयाँ गाय के तबेलों पर नियंत्रण के लिए होती थीं | इन लड़ाइयों को ऋग्वेद में गवीस्थि या गायों की खोज कहा जाता था |
• जमीन को निजी संपत्ति के रूप में नहीं देखा जाता था |
• तांबा, लोहा और पीतल जैसे धातुओं का प्रयोग होता था |
• कुछ लोग सुनार, कुम्हार, सूत कातने वाले और बढ़ई का काम करते थे |
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आदिवासी राजनीतिविज्ञापन
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• आदिवासी मुखिया को राजन कहा जाता था और उसका स्थान वंशानुगत होता था |
• राजा के साथ आदिवासी सभाएं जैसे सभा, समिति, गण और विधाता भी निर्णय लेनी की ताकत रखते थे |
• पूर्व वैदिक काल में महिलाएं भी सभा और विधाता में भाग ले सकती थीं |
• दो मुख्य पदाधिकारी जो राजा की मदद कर सकते थे
पुरोहित या मुख्य पंडित
II. सेनान्त या सेना प्रमुख
• वैदिक युग में लगाए गए कर बाली व भाग थे |
• गलत काम करने वालों पर नज़र रखने के लिए जासूस नियुक्त किए गए थे |
• वे अधिकारी जो गाँव में बस गए थे और ज़मीन पर कब्जा कर लिया था उन्हे व्रजपति कहते थे |
• व्रजपति क्षेत्र सेना की नियंत्रण में थे और परिवारों (कुलपा )के मुखिया और युद्ध के लिए सेना बटालियनों (ग्रामणि कहते थे) का नेतृत्व करते थे |
• आर्यन के पास स्थायी सेना नहीं थी पर वे कुशल सेनानी थे |
• वे प्रकृति से आदिवासी थे और इसलिए इनकी निश्चित प्रशासनिक व्यवस्था नहीं थी क्यूंकि वे लगातार घूमते रहते थे |
आदिवासी और परिवार
• लोगों को उनकी जाति से पहचाना जाता था|
• आर्यन के जीवन में आदिवासी (जन या विस ) एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करते थे |
• विस आगे ग्राम या योद्धाओं से बनी हुई छोटी आदिवासी इकाइयों में विभाजित था |
• जब दो ग्राम आपस में एक दूसरे से लड़ते थे, उससे संग्राम या युद्ध कहा जाता था |
• ऋग्वेद में परिवार के लिए कुल या गृह शब्द प्रयोग किया गया है |
• आर्य सयुंक्त परिवार में रहते थे |
• रोमन की तरह वे पितृसत्ता को मानते थे जैसे परिवार का मुखिया पिता होता था |
• लोग बेटों को बेटियों से ज्यादा पसंद करते थे और बलिदान के समय इसके लिए प्रार्थना भी करते थे |
• महिलाएं राजनीतिक सभाओं में भाग ले सकती थीं और अपने पतियों के साथ बलिदान भी कर सकती थीं |
• ऋग्वेद में एक से अधिक पति रखने का भी वैवाहिक नियम था और ऐसे कई घटनाएँ हैं जिसमे मृत भाई की पत्नी से विवाह किया गया हो और विधवा का दोबारा विवाह किया गया हो |
• बाल विवाह के कोई भी साक्ष्य मौजूद नहीं हैं और विवाह के लिए 16 या 17 वर्ष उपयुक्त मानी गई है |
सामाजिक विभाजन
• आर्य वर्ण के प्रति सचेत थे और उन्होने वर्ण के आधार पर जातिय भेदभाव शुरू कर दिया |(शाब्दिक अर्थ रंग )
• आर्य मूल निवासियों से रंगरूप में गोरे थे जिसने सामाजिक प्रणाली को जन्म दिया |
• दास और दस्यु से गुलामों की तरह व्यवहार किया जाता था और शूद्र को जाति प्रणाली में सबसे निम्न दर्जा दिया गया था |
• आदिवासी मुखिया युद्ध में लूटे गए माल में सबसे ज्यादा हिस्सा प्राप्त करता था और ताकतवर हो जाता था |
• ईरान की तरह आदिवासी समाज तीन दलों में विभाजित हो गया :
I. योद्धा
II. पुरोहित
III. आम लोग
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