शुक्र ग्रह के रहस्यों से पर्दा हटेगा, \The veil will be removed from the mysteries of the planet Venus
"मंगल ग्रह पर विजय प्राप्त करने के बाद अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा शुक्र ग्रह के रहस्यों से पर्दा उठाना चाहती है। इसके लिए नासा ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। नासा ने सौरमंडल में शुक्र ग्रह का रहस्य जानने के लिए दो नए मिशन की घोषणाएं की हैं। मिशनों का नाम DAVINCI+ और VERITAS रखा गया हैं।"
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नासा ने इससे पहले वर्ष 1978 में पायनियर प्रोजेक्ट और मैगलन प्रोजेक्ट शुरू किया था। मैगलन अंतरिक्ष यान अगस्त 1990 में शुक्र पर पहुंचा और 1994 तक काम करता रहा। खास बात यह है कि नासा करीब 30 साल बाद शुक्र की ओर दो अंतरिक्ष यान भेजने जा रहा है। हालांकि इसके लिए सटीक समय तय नहीं किया गया है, लेकिन इतना तय है कि अगले 10 साल के भीतर इन दोनों वाहनों को शुक्र ग्रह पर भेजा जाएगा।
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नरक जैसी दुनिया,\world like hell
यह घोषणा नासा अंतरिक्ष एजेंसी के मंगल पर सफल मिशन के बाद आई है, जिसमें नासा का रोवर सफलतापूर्वक मंगल की सतह पर उतरा और नासा के छोटे रोबोटिक हेलीकॉप्टर इंजेन्युइटी ने भी मंगल की सतह पर उड़ान भरा था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा दशक के अंत तक शुक्र पर दो अंतरिक्ष यान भेजेगी। उनका उद्देश्य यह पता लगाना होगा की शुक्र "नरक जैसी दुनिया" क्यों बना है। ये मिशन साल 2028 से 2030 के बीच लॉन्च किए जाएंगे।
शुक्र मिशन की बजट कितना है? \What is the budget of Venus mission?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बुधवार को शुक्र ग्रह के रहस्यों को उजागर करने के लिए दो नए मिशनों की घोषणा की, जो पृथ्वी के "हॉटहाउस" पड़ोसी के वातावरण का पता लगाने के लिए दशकों में पहला मिशन है। नासा के डिस्कवरी कार्यक्रम ने दो मिशनों के लिए पचास-पचास करोड़ डॉलर बजट रखा है, जो 2028 और 2030 के बीच पूरा होगा।
नासा शुक्र ग्रह पर क्यों जाना चाहता है? \ Why does NASA want to go to Venus?
नासा के नए प्रशासक बिल नेल्सन के अनुसार, "इन दो मिशनों का उद्देश्य यह समझना है कि शुक्र कैसे एक भट्टी जैसी दुनिया क्यों बन गया जिसकी सतह सीसा को पिघलाने में सक्षम है।" "मिशन पूरे विज्ञान समुदाय को एक ऐसे ग्रह की जांच करने का मौका देगा जिसे हमने 30 से अधिक वर्षों से नहीं देखा है," उन्होंने कहा। हालांकि नासा मिशन का नेतृत्व कर रहा है, जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) इन्फ्रारेड मैपर की आपूर्ति करेगा। इटली की अंतरिक्ष एजेंसी और फ्रेंच सेंटर नेशनल डी'एट्यूड्स स्पैटियल्स मिशन के लिए रडार और अन्य उपकरण मुहैया कराएंगे।
नासा के डिस्कवरी प्रोग्राम के मुख्य वैज्ञानिक टॉम वैगनर के अनुसार, "यह आश्चर्यजनक है कि हम वास्तव में शुक्र के बारे में कितना कम जानते हैं। लेकिन इन मिशनों के संयुक्त परिणाम हमें शुक्र ग्रह और उसके आकाश में बादलों से लेकर उसके सतह पर ज्वालामुखी की जानकारी दे सकते हैं।"वैज्ञानिक वैगनर कहते हैं, "इन दो अंतरिक्ष मिशनों की मदद से इतनी जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि यह लगभग शुक्र ग्रह की फिर से खोज करने जैसा होगा।"
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दो मिशन का लक्ष्य क्या हैं? \ What is the goal of DAVINCI+ and VERITAS mission?
DAVINCI+ अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह के वातावरण का आकलन करेगा और यह जानने की कोशिश करेगा कि यह कैसे बना। यह भी पता लगाएगा कि क्या इस ग्रह पर कभी पृथ्वी जैसा महासागर था या नही। यह यान शुक्र के वातावरण में हीलियम, नियॉन और क्रिप्टन जैसी महत्वपूर्ण गैसों का पता लगाने की कोशिश करेगा। नोबल गैसों, रसायन,वायुमंडल, और इमेजिंग की गहन, शुक्र के कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश करेगी। साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि शुक्र पर कोई समुद्र था या नहीं। DAVINCI+ इसकी तीव्र ग्रीनहाउस गैसों के कारणों को निर्धारित करने का प्रयास करने के लिए ग्रह के तत्वों को मापेगा।
VERITAS शुक्र ग्रह की सतह का नक्शा तैयार करेगा। यह जानने के लिए इसके भूवैज्ञानिक इतिहास का पता लगाने की कोशिश करेंगे की यह ग्रह पृथ्वी से इतना अलग क्यों विकसित हुआ। यह रडार का उपयोग करके सतह के विकास का पता लगाएगा और उसका 3डी नक्शा तैयार करेगा। इससे यह पता चल सकेगा कि शुक्र ग्रह पर अभी भी ज्वालामुखी गतिविधियां हो रही हैं या नहीं। शुक्र की सतह पर कठोर चट्टान के नमूने प्राप्त करके इस पड़ोसी ग्रह पृथ्वी भूवैज्ञानिक को समझने में मदद करेगा। इसके जरिए यह समझने में मदद मिल सकती है कि यह ग्रह कैसे बना। पृथ्वी जैसा समान आकार और संरचना के कारण "शुक्र को अक्सर पृथ्वी की बहन कहा जाता है"।
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