Saman Nagrik Sanhita In Hindi समान नागरिक संहिता "Uniform Civil Code" चर्चा में क्यू है, "UCC लागू होने पर क्या असर पड़ेगा" लेख में बने रहे याह हम आपको समान नागरिक संहिता किस राज्य में लागू है? और समान नागरिक संहिता के खिलाफ क्या तर्क दिया जा रहा है? समान नागरिक संहिता कब लागू हो इसका उद्देश, फायदे और नुकसान की पूरी जानकारी बता रहे हैं तो लेख पूरा पढ़िए।
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समान नागरिक संहिता हिंदी में (Saman Nagrik Sanhita In Hindi)
यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट हिंदी में समान नागरिक संहिता कहा जाता है और शॉर्ट फॉर्म या आम बोल चाल में "UCC" कहा जाता हैं। यह जानना जरूरी है कि आखिर "यूनिफॉर्म सिविल कोड" होता क्या है? बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड सामाजिक मामलों से संबंधित एक ऐसा प्रस्ताव रखता है। जिसके तहत भारत देश के सभी नागरिकों के "पर्सनल लॉ" (कानून) के जगह पर बिना किसी धार्मिक व जातीय भेदभाव के तलाक, शादी, विरासत या बच्चा गोद लेने आदि जैसे घरेलू मामलों में सब पर एक बराबर एक समान कानून लागू होगा। समान नागरिक संहिता चर्चा में इसीलिए है क्युकी सरकार पर्सनल लॉ को बदल कर यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट लाना चाहती है।
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समान नागरिक संहिता क्या है?
Uniform Civil Code in Hindi: समान नागरिक संहिता एक कानूनी नीति है जिसका उद्देश्य भारतीय समाज के सभी धर्म और पंथ के नागरिकों के लिए एक समान कानूनी अधिकार को सुनिश्चित करना है। और सभी धर्म और जाति जनजातियों के लिए एक बराबर कानून व्यवस्था बनाना है। इससे देश में सब के लिए एक समान कानून लागू किया जा सकता है ताकि धर्म, संप्रदाय और जाति के आधार पर अलग-अलग नियम और कुप्रथा को ख़त्म किया जा सके। देश में धर्म के आधार पर कई ऐसे कुप्रथा है जिससे महिला काफी असहमत महसुस करती है। यूसीसी लागू होने से सभी धर्म के महिलाओं व पुरुष को एक बराबर सम्मान मिलेगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का हिंदी में क्या अर्थ है? बात दे कि हिंदी में इसका अर्थ या मतलब 'समान नागरिक संहिता' होता हैं, यह एक तरह का कानून होता हैं, जिसके अनुसार पर्सनल लॉ के बदले में सब के लिए एक समान कानून लागू किए जाएंगे। जिसे शर्ट फार्म में "यूसीसी" कहा जाता हैं। यूसीसी के अंदर विरासत, विवाह, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकारी और नागरिक संबंधों के क्षेत्रों में सार्वभौमिकता सुनिश्चित करने के लिए यूसीसी नीति के लागू होता हैं।
समान नागरिक संहिता से लोगों को क्या लाभ मिलेगा?
यदि पर्सनल लॉ को हटा कर समान नागरिक संहिता लागू होगा तो इससे मदद से भारत देश के सभी लोगों को घरेलू मामले जैसे कि विवाह, विरासत, संपत्ति, तलाक , बच्चे गोद लेना जेसे और अन्य नागरिक अधिकारों को सब के लिए एक बराबर अधिकार मिलेगा। इस कानून के के मदद से भारतीय नागरिकों को धर्म, संप्रदाय, पंथ और जाति आधारित भेदभावपूर्ण से मुक्ति मिलेगी जिससे सभी एक ही कानून के अंदर रहेंगे तो सभी बेक्ति एक सामान्य जीवन जी सकेंगे। समान नागरिक संहिता और भी कई फायदे हैं, जिसकी जानकारी हमने नीचे दी है तो आईए जानते हैं, यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट के फायदे क्या-क्या है?
Image source: public domain, under (license 4.0)
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सामाजिक समानता में बेहतर सुधार होगा
स्थानीय समुदायों, पंथ और संगठनों को यूसीसी के अनुसार सामाजिक समानता में सुधार होगा। इस कानून को लागू होने से सभी भारतीय को एक ही कानून और सामाजिक मंच मिलेगा, जिसके कारण विभिन्न समुदायों के बीच में एक बराबर विचारों में बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूती मिलेगी
समान नागरिक संहिता आने से भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को और मज़बूत बनाने में मदद मिलेगी यह कानून देश के सभी नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनी (Personal Laws) व्यवस्था को खत्म कर के सब के लिए एक ही न्याय और समान को बढ़ावा मिलेगा जिससे भारत की एकता और अखंडता और मज़बूत होगी।
सभी धर्म के महिलाओं व परिवार को एक बराबर आधिकार मिलेगा
समान नागरिक संहिता से पहले महिलाओं को उनके धर्म के अनुसार न्याय व्यवस्था मिलती थी जो की खत्म हो जाएगा और और सभी जाति व जनजाति और धर्म की महिलाओं के लिए एक बराबर कानून लागू होगा। इससे सभी महिलाओं को बराबर कानूनी अधिकार मिलेगा।
समान नागरिक संहिता के नुकसान क्या हैं?
समान नागरिक संहिता लागू होने से धर्म संप्रदाय, जाति जनजातियों के व्यक्तिगत धार्मिक प्रथा व अधिकारों को प्रभावित कर सकता है, और यह जनजातियों के विविधता को कम कर सकती है। जिससे सामाजिक अस्थिरता भी पैदा हो सकता है। "समान नागरिक संहिता के खिलाफ तर्क" यह दिया जाता हैं कि कुछ संप्रदायों और धर्मों के अनुयायियों अपने विशेष कानूनों और निजी प्रथा को छोड़ना नहीं चाहता है, वो यह मानते है कि इससे उनका सामाजिक असंतोष बढ़ सकती है।
भारत में समान नागरिक संहिता क्यों लागू नहीं की जाती है?
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड अभी लागू नहीं है, इसका करण भारत में अधिकांश पर्सनल लॉ धर्म पर आधारित हैं। हिंदू, जैन, बौद्ध, और सिख लिये एक पर्सनल कानून है, जिसे हिंदू मैरिज एक्ट कहा जाता है, जबकि इसाइयों और मुसलमानों के लिए अपने व्यक्तिगत कानून हैं। मुसलमानों का पर्सनल लॉ शरीअत पर आधारित है और अन्य धार्मिक समूहों के लिए भारतीय संसद के संविधान पर कानून आधारित हैं। अगर भारत में समान नागरिक संहिता लागू होता तो सभी धर्मो का कानून एक बराबर हो जायेंगे।
लोग समान नागरिक संहिता के खिलाफ क्यों हैं?
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धर्म, जाति और जनजातियों अधिकारों की बात करने वाले संगठन/समूह यूसीसी के खिलाफ है। उनका कहना है कि देश के बहुत से धार्मिक और आदिवासी समुदायों की अपनी-अपनी प्रथाएं और रिवाज है और वह उनका पालन सदियों से करते आ रहे हैं। इसके लिए यह सवाल जायज है कि पूर्वोत्तर भारत के स्थाई आदिवासी समुदाय से लेकर दक्षिण भारत के आदिवासी समुदाय पर यूसीसी कैसे लागू होगा।
क्या भारत में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए?
क्या भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है: संविधान के अनुच्छेद 44 में प्रावधान किए गए है कि समान नागरिक संहिता को नागरिकों के बराबार के अधिकारों के लिये भारत राज्य सरकार अपने राज के क्षेत्र में इसे लागू करने का प्रयास करेगा। गोवा भारत का राज्य जहा वर्ष 1962 से इसे लागू किया है।
लोग विरोध क्यों कर रहा है समान नागरिक संहिता को?
लोग समान नागरिक संहिता के खिलाफ क्यों हैं: कुछ कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 25-28 के धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को उल्लंघन करता है, बता दें कि भारतीय संविधान में भाग 3 आर्टिकल 12 से 35 तक में भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का प्रावधान है।
समान नागरिक संहिता से संबंधित सवाल? (FAQ)
प्रश्न: समान नागरिक संहिता किस राज्य में लागू है?
उत्तर: आजाद भारत में सबसे पहले गोवा राज्य में भारत सरकार की सहमति से वर्ष 1962 में ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ था। जो आज के दिनों में गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता हैं। गोवा ने अपने दमन और दिउ प्रशासन अधिनियम, 1962 के सेक्शन 5(1) में जगह दे रखी है.
प्रश्न: समान नागरिक संहिता से क्या लाभ मिलेगा है?
उत्तर: समान नागरिक संहिता के फायदे: धर्म संप्रदाय, और जाति के आधार पर अलग-थलग कानूनों और कु- प्रथा को मुक्त करेगा इससे भारत देश के सभी नागरिकों को विवाह, तलाक ,विरासत, संपत्ति, बच्चे गोद लेना जेसे अन्य मामले में सबके लिए एक बराबर कानून का अधिकार मिलेंगे।
प्रश्न: समान नागरिक संहिता की कामना कौन करता है?
उत्तर: भारत में समान नागरिक संहिता की चर्चा संविधान के अनुच्छेद 44 में की गई है। इसमें कहा गया है कि सभी राज्य को देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने का प्रयास करना चाहिए।
निष्कर्ष:
एकीकृत नागरिक संहिता (UCC) भारतीय समाज में सामान्य स्थिति और एक बराबर न्याय दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह देश के सभी नागरिकों और जातियों को समानता के आधार पर न्यायपालिका के कानूनी अधिकार और दायित्व को सुनिश्चित करना है।