शारदा सिन्हा बायोग्राफी (जन्म, उम्र, शिक्षा, परिवार, विवाह, गीत, पति, बच्चें, लोक गीत, फिल्मी गाने, नेट वर्थ, पुरस्कार) और बहुत कुछ जानेंगे इस लेख में [Sharda Sinha Biography In Hindi] Birth, Family, Education, Age, Marriage, Husband, Children, Folk Songs Film Songs, Net Worth, Awards and many more information about Sharda Sinha in Hindi
नमस्कार दोस्तों! आज के इस लेख में हम आपको एक प्रसिद्ध भारतीय संगीत एंव लोक गीत के महान गायिका के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने सुरों से यूपी, बिहार ही नहीं बल्कि विदेशों लोगों के दिलों में भी अपनी जगह बना रखी है। जी हम बात कर रहे हैं एक प्रसिद्ध लोक गीत "गायिका शारदा सिन्हा" जी के बारे में जिन्हें बिहार की कोकिला नाम से भी जाना जाता हैं, इनके जीवन से जुड़े एहम बातों को जानने के लिए Sharda Sinha Biography in Hindi में पुरा पढ़ें।
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शारदा सिन्हा का जीवन परिचय (Sharda Sinha Bio, Wiki )
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शारदा सिन्हा एक भारतीय मैथिली और भोजपुरी प्रसिद्ध लोक गायिका हैं। वह मैथिली, हिंदी, बांग्ला, भोजपुरी, नागपुरी, और मगही भाषा में भी गाती हैं। वह छठ पूजा गीत "उगा हो दीनानाथ" और अन्य "छठ पूजा गीत" के मैथिली और भोजपुरी संस्करण के लिए दुनियां भर में जानी जाती हैं। साल 2018 में शारदा सिन्हा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। जो भारत के सर्वोच्च तीसरे नागरिक पुरस्कार है।
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शारदा सिन्हा का जन्म एंव व्यक्तिगत जीवन (Birth and personal life)
शारदा सिन्हा का जन्म 9 अगस्त 1952 को बिहार राज्य के सुपौल जिला,, राघोपुर, गांव हुलास में हुआ है। शारदा अपने बचपन से ही संगीत के प्रति लगाव रखती थी छोटी उम्र से ही उन्हें गायन और संगीत का काफी शौक था। यहीं कारण है कि वे आज भी एक प्रसिद्ध गायिका है।
शारदा सिन्हा अपने निजी जीवन में योग और ध्यान को बहुत महत्व देती है, साथ ही अपनी धार्मिक प्रथा और भावनाओं बखूबी निभती हैं इसके अधीक इनके निजी जीवन की जानकारी पब्लिक डोमेन उपल्बध नही है।
शारदा सिन्हा का परिबार (Sharda Sinha Family)
शारदा सिन्हा के पिता जी का नाम सुखदेव ठाकुर है, जो कि बिहार शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं शारदा अपने 8 भाई में एक इकलौती बहन हैं, 6 भाई इनसे बड़े हैं और 2 छोटे है, इनके पति का नाम ब्रज किशोर सिन्हा है जो कि एक डॉक्टर है।
शारदा सिन्हा की शिक्षा (Sharda Sinha Education)
इन्होंने अपनी शिक्षा बांकीपुर गर्ल्स हाईस्कूल और बिहार, समस्तीपुर शिक्षण महाविद्यालय, बिहार और मगध महिला कॉलेज, बिहार से पूरी की है यहां से शारदा ने बीएड और स्नातक की डिग्री प्राप्त की है, इसके बाद शारदा सिन्हा गीत, संगीत में परास्नातक यानी मास्टर्स (Masters) करने के लिए यूपी के प्रयागराज (इलाहाबाद) चाली आई यहां पर उन्होंने "प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद महाविद्यालय से मास्टर्स में डिग्री प्राप्त की है।
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शारदा सिन्हा का प्रारंभिक जीवन (Sharda Sinha Early Life)
शारदा सिन्हा को छोटी उमर से ही गीत संगीत में काफी रुचि थी और इसमें उनके पिता जी ने भी साथ दिया है, किशोरी शारदा सिन्हा अपने गांव के सखी सहेली और महिलाओं के साथ शादी विवाह या शुभ मुहूर्त पर संस्कारी और लोग गीत गया करती थी "शारदा सिन्हा का विवाह गीत" और देवी गीतों को लोगों को खूब पसंद आता है। सामाजिक विरोध के बिच शारदा ने आंगन में गए जानें वाले संस्कारी गीतों को उठा कर बाहर लाई, शादी की जो गीत सिर्फ आंगन में गाई जाती थी उसे लाउड स्पीकर पर पहुंचा दी।
जब शारदा सिन्हा स्कूल में पढ़ती थी तो गांव के दुर्गा पूजा में उन्हें पहली बार सार्वजनिक मंच पर गानें का मोका था इस मंच पर उन्होंने सरस्वती बंदना गीत "जागेश्वरी मातो सरस्वती" भजन गाई थी तो लोगों ने इसका खूब विरोध किया था कहा था की एक लड़की जो घर में सांसारिक गति गाती हैं, अब वो बहार आकर सार्वजनिक मंच पर भी गायेगी ये समाज के लिए कुछ ठीक नहीं है। ये वो दौर था जब लड़कियों और महिलाओं के नाच गान पर सामाजिक विरोध मिलता था धरे-धरे लोग इनके आवाज़ के दीवाने हो गए।
शारदा सिन्हा का विवाह (Sharda Sinha Vivah, Marriage)
शारदा सिन्हा का शादी वर्ष 1970 में डॉ. ब्रज किशोर सिन्हा से हुआ है जो बिहार राज्य के बेगूसराय के रहने वाले हैं और पेशे से एक डॉक्टर है, इनके एक बेटा और बेटी भी हैं। शादी के बाद भी शारदा ने गायन नही छोड़ी गीत गाने पर उनके सास बहुत विरोध करती थी कहती थी की अब नई दुल्हन गीत गायेगी, लेकिन शारदा सिन्हा के पति और ससुर ने इनका साथ दिया
इनके ससुर जी को भजन कीर्तन से बहुत लगाव था और एक दिन इनको इच्छा हुई की बहु ठाकुर वाड़ी में भजन गाएगी और उन्हें कीर्तन में लेकर गए जहा शारदा सिन्हा ने "मोहे तो रघुवर की सुधि आई" भजन गाई लोगों को भजन और शारदा के आवाज़ बहुत पसंद आया था।
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शारदा सिन्हा के प्रांभिक कैरियर (Sharda Sinha Early Career)
शारदा अपने गायन कैरियर के शुरुआती दौर में बहुत कठिनाई और मुश्किलों की सामना की है उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि जब वह गीत का रियाज करती थी तो साथ में अपनी छोटी बेटी को भी रखती थी, और कभी-कभी ऐसा भी होता था कि रियाज करते समय वह अपनी छोटी बच्ची को दूध भी पिलाती होती थीं। उनका रियाज 8 से 10 घंटे तक चलता था जो बहुत मुश्किल भरा होता था लेकिन कुछ करने का जुनून दिल में बसा हुआ था।
वर्ष 1971 में पहली बार शारदा एक ऑडिशन देने गई थी जिसमें वे पहले दिन में ही फेल हो गई फिर दुसरे दिन शारदा और उनके पति ने संगीत निर्देशक "मुलरी मनोहर सोरूप" जिन्होंने मुकेश के रामयन में सगीत दिया था उनसे दुबारा ऑडिशन देने की बात कहीं और एक बार फिर से ऑडिशन दिया इस बार शारदा सिन्हा का आवाज़ एचएमबी के जेनर मेनेजर वीके दुबे को अच्छा लगा और उन्होंने शारदा के गाने को रिकॉड करने को कहा, यही पर पहली बार शारदा सिन्हा मुलाकात बेगम अख्तर से हुई थी। इसके बाद से लगातार उनके कई हिट गाने आए।
शारदा सिन्हा का कैरियर (Sharda Sinha Career)
एक दौर था जब शारदा सिन्हा के गीत और गाने ने लोगों के दिलों में तहलका मचा दिया था। आज भी विवाह और छठ पूजा में इनका गीत लोड स्पीकर पर बजाया जाता हैं। शारदा सिन्हा ने मैथिली संस्कृति गीत को जीवंत किया और लोगों के बीच लाई आज भी लोगों के दिलों में एहम जगह बना रखी हैं शारदा सिन्हा का गीत। उन्होंने अपने गानों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को गीत के अनमोल गहने से संजोने का काम किया।
शारदा सिन्हा पहला मैथिली विवाह गीत "दुआर के छेकाई नेग पहने चिकाइयो योंउ दुलरौआ भैया" जो आज भी लोग शादी में बजाया और गया जाता हैं। साल 1971 में शारदा सिन्हा पहला गाना एचएमवी पर रिकॉर्ड हुआ था।
शारदा सिन्हा ने साल 1989 में पहली बार फिल्मी गाना "मैंने प्यार किया" फिल्म के लिए "कहे तो से सजाना तोहरी सजनिया पग पग लिए जाऊं तोहरी बलैया" गाना गाई थी उनका कहना है कि ये गाना उनके दिल के बहुत करीब है।
अपने एक इंटरव्यू में शारदा सिन्हा ने कहा है कि जब वह बीच 7 8 वर्ष गाना छोड़ दी थी तो कही पर नौकरी करती थी
साल 2012 में आई फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 का गाना "तार बिजीली जैसे हामार पिया" इसे शारदा सिन्हा द्वारा गाया गया था इस गाने में इनकी आवाज को लोगों ने खूब पसंद किया था।
शारदा सिन्हा छठ पूजा गीत (Sharda Sinha Chhath Puja Songs History)
छठ का मतलब सारदा सिन्हा जी का आवाज बिहार में ही नही पूरे देश में महसूर है "शारदा सिन्हा का छठ गीत" इनका पहला छठ गीत वर्ष 1980 एलपी पर रिकॉर्ड किया था और वर्ष 1986 में पहली बार एचएमवी पर "केलवा के पात पर" छठ पूजा गीत रिकॉर्ड किया गया था। अपने एक इंटरव्यू में शारदा सिन्हा कहा है कि जब वे छठ गीत गाती है तो उन्हें कुछ नहीं दिखता है शून्य (0) दिखाता है।
करीब 8-10 साल बाद साल 2016 में "पहिले पहिल हम कईनी छठी मईया व्रत तोहर" छठ गीत को शारदा सिन्हा ने आवाज़ दिया और वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स द्वारा प्रस्तुत किया गया इस गाने को सुनकर जो लोग छठ पूजा के बारे में नहीं जानते थे वह भी बहुत अच्छी तरीके से छठ पूजा के महत्व और महिमा क्या है समझ गए।
शारदा सिन्हा नेटवर्थ Sharda (Sinha Net Worth and Income)
शारदा सिन्हा अपनी अभिनय प्रतिभा एंव अनुकूलन क्षमता के लिए आज भी प्रसिद्ध हैं। हालाँकि शारदा सिन्हा एक मैथिली गायिका हैं, लेकिन वह फिल्मों, टेलीविज़न शो, विज्ञापन में काम करती है और अन्य विभिन्न स्रोतों से अच्छी पैसा कमाती हैं। साल 2022 में "शारदा सिन्हा की कुल संपत्ति $ 1 से $ 5 मिलियन डॉलर था" जो भारतीय मुद्रा में 7 से 30 करोड़ भारतीय रुपये के बीच होगी। वही अगर मासिक सैलरी (वेतन) की बात करे तो प्राप्त जानकारी के अनुसार "शारदा सिन्हा की सैलरी" लगभग 1 लाख रुपए के करीब होगी।
शारदा सिन्हा का पुरस्कार और सम्मान (Sharda Sinha Awards and Honors)
संगीत में यहम योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1991 में "पद्म श्री" पुरस्कार से नवाजा गया है। और साल 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर उन्हें, भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, "पद्म भूषण" से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा शारदा को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला है। उनको भारत के महत्वपूर्ण सम्मान से सम्मानित किया गया है।
शारदा सिन्हा के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about Sharda Sinha in Hindi)
- एक मध्यमवर्गीय परिवार में शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के छोटे से गांव हुलास में हुआ हुई थी।
- उन्होंने अपने संगीतीय करियर की शुरुआत वर्ष 1960ई में रेडियो और टेलीविजन पर गाने के साथ की थी।
- लोगों के बीच आज भी शारदा सिन्हा के गाने बेहद पसंद किया जाता हैं, देशभर में चाहने वाले कई श्रोताओं ने प्यार से सम्मानित किया है।
- उन्होंने अपने संगीतीय सफर में पद्मश्री, पद्मभूषण, और नेशनल फिल्म अवार्ड जैसे कई प्रमुख पुरस्कार भी मिला हैं।
- उनका गाना "हो गई है मोहब्बत तुमसे" अधिक प्रसिद्ध किया और यह गाना आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
- शारदा सिन्हा के गाने भारतीय संस्कृति की विविधता और रंग को सुरों में प्रकट करते हैं और लोगों को मोह लेते हैं।
- इनके विदेशों में भी मान्यता मिली है और विदेशी नृत्य ग्रुप्स भी उनके गानों का उपयोग करते हैं।
शारदा सिन्हा से जुड़े सवाल (FAQ)
प्रश्न: शारदा सिन्हा का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर: 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिला, गांव हुलास में इनका जन्म हुआ था।
प्रश्न: शारदा सिन्हा के पति का क्या नाम है?
उत्तर: डॉ ब्रज किशोर सिन्हा
प्रश्न: गायक शारदा सिन्हा के गुरु कौन थे?
उत्तर: इनका पुरा परिवार गीत संगीत से जुडा हुआ है, इनके पिता जी और पति ने इनको गुरु के तौर पर संगीत और गीत शिखने में बहुत मदद किया है।
प्रश्न: शारदा सिन्हा का गांव कौन सा है?
उत्तर: इनका गांव का नाम हुलास है जो राघोपुर ब्लॉक सुपौल जिला बिहार में है।
प्रश्न: शारदा सिन्हा का घर कहाँ पर है?
उत्तर: बर्तमाम में वे पटना में रहती हैं और इनका पुस्तेणी घर सुपौल जिला हुलास गांव में है।
प्रश्न: शारदा सिन्हा की उम्र कितनी है?
उत्तर: 71 वर्ष (2023 में)
प्रश्न: शारदा सिन्हा कौन सी जाती है?
उत्तर: कायस्थ जो एक ब्राह्मण जाति है
अंतिम शब्द
शारदा सिन्हा के गाने हमेशा से ही भारतीय संस्कृति, प्रेम और भावुकता के भावनाओं को सुरों में सजाया हैं। उनकी गायकी में एक अद्भुत शक्ति होती है, जो उन्हें अन्य गायिकाओं से बिलकुल अलग बनाती है।
उनकी संगीत न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी मान्यता और सम्मान मिली है। विदेशी नृत्य ग्रुप्स (Dance Groups) भी उनके गानों को अपनाते हैं और उन्हें अपने डांस प्रस्तुतियों में शामिल भी करते हैं।
आज भी शारदा सिन्हा ने संगीत करियर में अपने एकलौते संगीत धरोहर को बनाए रखी इसके लिए उनके गीत संगीत में योगदान को समर्थन और सम्मान देते रहेंगे। Sharda Sinha Biography in Hindi में लेख आप को कैसा लगा कॉमेंट ज़रूर करें, धन्यवाद