जन्माष्टमी पर निबंध | Useful janmashtami festival essay in hindi

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Krishna Janmashtami Essay in Hindi: कृष्ण जन्माष्टमी भारत में श्रावण माह के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है और पूरे देश में हिंदू इसे खुशी से मनाते हैं। यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों में मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।

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कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में (essay on krishna janmashtami in hindi)

जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी भाषा में

krishna janmashtami festival essay in Hindi 

janmashtami essay for students: यह त्यौहार विद्यार्थियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस शुभ अवसर पर स्कूल और कॉलेज में जन्माष्टमी पर निबंध की प्रतियोगिता रखी जाती है, जिसमें विद्यार्थी बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं, ऐसे में विद्यार्थियों को खोज करती है कि हम “कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध कैसे लिखें?” इसीलिए हम आपकी मदद करने के लिए यहां कुछ विशेष (essay on krishna janmashtami in hindi for students) के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं इस निबंध को आप English, Marathi, Gujarati language, या अन्य भाषाओं मे आप लिखना चाहते हैं तो इसे ट्रासलेट कर ले जिसकी मदद से आप अपने निबंध कंपटीशन (Essay Competition) में अच्छे से लिख सकते हैं। और फर्स्ट प्राइज पा सकते हैं।

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1 .  कृष्णा जन्माष्टमी निबंध (essay on janmashtami festival in hindi)

krishna janmashtami festival essay: जन्माष्टमी अगस्त या सितंबर में मनाई जाती है और भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व  हैं। यह त्यौहार हिंदुओं के उत्साह और गहरी आस्था से भरा हुआ है। भगवान कृष्ण का जन्म के शुभ महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन होता है और आधी रात को मनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म इसी काल में हुआ था। अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने के लिए, भक्तगण लगभग पूरे दिन आधी रात तक उपवास रखते हैं। बच्चे भगवान कृष्ण और राधा के रूप में तैयार होते हैं। साथ ही परंपरागत कृष्ण लीला भी खेली जाती है। जन्माष्टमी सभी आयु समूहों के बीच एक लोकप्रिय त्योहार है। बच्चों को विशेष रूप से भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम की भावनाओं को व्यक्त करने में बहुत आनंद आता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों के गहरे प्रेम का प्रमाण है और इसे बड़े उत्साह के साथ दुनियां भर में मनाया जाता है।


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2.  जन्माष्टमी पर  निबंध हिन्दी में 200 (short essay on janmashtami festival)

janmashtami essay: श्री कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन धूम धाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं, का जन्म मथुरा में हुआ था, और उनकी लीलाएं और उपदेश आज भी भक्तों के जीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं। जन्माष्टमी के दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है, और रात्रि के समय श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मथुरा, वृंदावन और द्वारका जैसे तीर्थस्थलों पर इस पर्व की विशेष धूमधाम होती है, जहां भक्त श्रीकृष्ण के जन्म का स्वागत उत्साह और भक्ति के साथ करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

3.  कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव निबंध (krishna janmashtami festival essay)

Janmashtami Essay For Students: श्री कृष्ण जन्माष्टमी एक हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और पूरे भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार अगस्त या सितंबर में भाद्रपद महीने के अंधेरे पखवाड़े के आठवें दिन मनाया जाता है। इस दिन, कृष्ण को समर्पित मंदिरों को फूलों, पत्ती इंटीग्रेशन लाइट और अन्य उत्सव की वस्तुओं से सजाया जाता है। भक्त पूरे दिन उपवास करते हैं और कृष्ण से प्रार्थना करते हैं और कई लोग कृष्ण का जन्मदिन मनाने के लिए पूरी रात जागते भी हैं। कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के कई तरीके हैं।


कुछ लोग कृष्ण के जीवन का वर्णन करने वाले ग्रंथ पढ़ते हैं, जबकि अन्य कृष्ण की प्रशंसा में भजन गाते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में कृष्ण लीला के माध्यम से कृष्ण के जन्म की कहानी कहने की परंपरा है। कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के दौरान दूध और दही से भरे मिट्टी के बर्तन फोड़ना एक आम परंपरा है। यह बुराई के विनाश के प्रतीक के रूप में किया जाता है। एक अन्य परंपरा गरीबों को खाना खिलाना या आश्रय स्थलों को भोजन दान करना है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर, हिंदू अपने पसंदीदा देवता के जन्म का जश्न मनाते हैं। और अपने मित्रों को इस दिल की शुभकामनाएं और बधाइयां देते हैं।

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जन्माष्टमी पर 10 लाइन हिंदी में (10 line janmashtami essay in Hindi)

  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म दिवस का पारंपरिक पर्व है 
  • भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है कृष्ण जन्माष्टमी जिसे पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है
  • पौराणिक मान्यताओं में माना जाता है कृष्ण का जन्म भारत के मथुरा में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था
  • जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला प्रमुख हिन्दू पर्व है।  
  • यह पर्व भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।  
  • श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, जिन्होंने मथुरा में जन्म लिया।  
  • जन्माष्टमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं और रात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं।  
  • मथुरा, वृंदावन और द्वारका में इस पर्व की विशेष धूमधाम होती है।  
  • इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं, जिनमें श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाया जाता है।  
  • 'दही-हांडी' का आयोजन भी इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो महाराष्ट्र में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।  
  • भक्तजन इस दिन श्रीकृष्ण की कथाएं सुनते हैं और उनके भक्ति गीतों का आनंद लेते हैं।  
  • जन्माष्टमी पर, भक्तगण श्रीकृष्ण के जन्म की प्रतीक्षा करते हुए रात्रि जागरण करते हैं।  
  • यह पर्व धर्म, भक्ति और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है।
  • जन्माष्टमी के दिन लोग अपने घरों और मंदिरों में विशेष सजावट करते है और दीप जलाए जाते हैं।  
  • इस पर्व के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश और गीता के ज्ञान को स्मरण कर, जीवन में धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

परिचय (Introduction)

दुनियां भर में जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जन्माष्टमी का त्यौहार ना केवल धार्मिक और आस्था का प्रतीक है बल्कि उसमें भारतीय संस्कृति परंपराओं और भक्ति की अनोखी बातें देखने को मिलती है, इस शुभ अवसर पर लोग उपवास रखते हैं, और रात्रि के समय भक्ति गीत और नृत्यों के साथ श्री कृष्ण के जन्म का स्वागत करते हैं मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं, गली मोहल्ले में मटकी फोडी जाती है (दहीहंडी) इसी विशेष अवसर पर वृंदावन, मथुरा और द्वारका जैसे धार्मिक स्थलों पर जन्माष्टमी उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन परिचय

विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजनीय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा शहर में हुआ था। उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी थे। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म अत्याचारी राजा कंसू का विनाश करने के लिए हुआ था। उनके जन्म के समय पृथ्वी पर अंधकार और अन्याय का बोलबाला था जिससे श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। उनके जन्म के तुरंत बाद वासुदेव बालकृष्ण को कंस के अत्याचार से बचाने के लिए उन्हें यमुना नदी के पार गोकुल में नंद बाबा और यशोदा मैया के पास पहुंचाया। 

श्रीकृष्ण का संदेश और उसका महत्व

  • भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में हमारे और हमारे समाज अनेक उपदेश दिए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण 'भगवद्गीता' के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें श्रीकृष्ण ने लोगों को अपने कर्म, धर्म, और भक्ति के महत्व को समझाया है। उन्होंने अर्जुन को यह सिखाया कि अपने कर्तव्य का पालन करना ही सबसे सच्चा धर्म है, और अपने जीवन के कर्मों का फल भगवान पर छोड़ देना चाहिए। 
  • श्रीकृष्ण का जीवन और उनका उपदेश हमें अपने जीवन में सच्चाई, प्रेम, और भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए यह सिखाता है,  उन्होंने ही हमें यह भी बताया कि अपनी जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए भी कभी धर्म के मार्ग को नहीं छोड़ना चाहिए।

जन्माष्टमी का महत्व और रीति-रिवाज

  • जन्माष्टमी का त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत मथुरा, वृंदावन में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन, श्रद्धालु सूर्योदय से लेकर अगले दिन तक उपवास करते हैं। मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता हैं और रात्रि 12 बजे श्री कृष्ण का जन्मोत्सव  मनाया जाता है। इस अवसर पर नन्हें गोपाल को झूले पर बैठाकर उनका अभिषेक और पुजा किया जाता है और भक्त 'नंद के आनंद ब्यो, जय कन्हैया लाल की' का जयकारा लगाते हैं। 
  • मथुरा और वृंदावन में इस दिन का विशेष आकर्षण देखने को मिलता है, जहाँ भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। यहां के मंदिर भव्य चित्रों से सजाई जाती हैं और रासलीला का भव्य आयोजन किया जाता हैं।। इसके अलावा, दही हांडी का खेल महाराष्ट्र में बहुत प्रसिद्ध है, जहां प्रतीकात्मक रूप से भगवान कृष्ण का मक्खन चुराने का खेल आयोजित किया जाता है।

दही-हांडी की परंपरा

जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में 'दही-हांडी' की परंपरा भी बहुत लोकप्रिय है। यह खेल भगवान कृष्ण के बचपन में माखन चोरी की लीलाओं का प्रतीक है। इसमें युवा दही और मक्खन से भरे हुए मटकी ऊंचाई पर लटकाकर फोड़ने के लिए पिरामिड बनाते हैं। यह उत्सव सभी के लिए भाईचारे और उत्साह का प्रतीक है।


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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी हमारे लिए न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे समाज और जीवन में आध्यात्मिकता और नैतिकता के महत्व को भी दर्शाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन और उनके उपदेश हम सभी को धर्म, सत्य और अपने कर्तव्य की पथ पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। आज भी गीता का संदेश मानव जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण औरआदर्श मार्गदर्शक है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस आर्टिकल में हमने आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध और उनके जीवन का मार्गदर्शन कराया है, जन्माष्टमी का पावन त्योहार हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके संदेश को स्मरण करने और अपने जीवन पर लागू करने का अवसर प्रदान करता है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म की राह पर चलना ही सच्चे जीवन का मार्ग है। इस खास पावन अवसर पर हम सभी को भी भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को अपने मानव जीवन में अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। 

Editorial Team

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