Inspiring Story of Srikanth Bolla |
नेत्रहीन बच्चे की सफलता की कहानी (blind child success story)
एक असाधारण बच्चा जिनका जन्म भारत में आंध्र प्रदेश राज के सीतारामपुरम में हुआ। जब इनका जन्म हुआ तो घर में खुशियां नहीं गम का माहौल छाया था क्योंकि यह बच्चा जन्म से ही नेत्रहीन (BLIND) था। बच्चे को नेत्रहीन होने के वजह से गांव के लोगों ने बच्चे के पिता से ये तक कह दिया कि ये अंधा बच्चा किसी काम का नहीं है, आगे चलकर यह आपका सहारा केसे बनेगा कही ऐसा ना हो की यह आप पर एक बोझ बन कर रह जाएगा। इन्हें तो जीने का भी हक नहीं है।
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लेकिन माता-पिता तो माता-पिता होते है उन्होंने लोगों की एक भी नहीं सुनी और अपने बच्चे की परवरिश करना शुरू सुरु किया । सम्पूर्ण परिवार की आर्थिक खेती-बाड़ी पर ही निर्भर था। और घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। माता पिता ने एक बार बच्चे को गांव के पास के एक सरकारी स्कूल में भेजा लेकिन बच्चा नेत्रहीन होने की वजह से वह अन्य बच्चों के साथ घुल मिल कर पढ़ाई करना कठिन होता था। वो स्कूल की किसी भी गतिविधि में भाग नहीं ले पाता था तो बाकी के बच्चे उसे हीन भावना से देखता था।
अब पिता अपने बच्चे को खेत में काम करने ले जाने लगे लेकिन नेत्रहीन होने के वजह से खेत में भी ये बच्चा कोई मदद नहीं कर पा रहा था। उनके पिता जानते थे की इसे पढ़ने का मन है इसलिए पिता ने इसे पास के शहर भेज कर नेत्रहीन बच्चों के स्कूल में दाखिला करवा दिया। जहा पर यह टॉपर रहा और इसे सतरंज खेलना भी बहुत पसंद था। 10वीं में वह 90% लाने के बाद ये विज्ञान विषय में और पढ़ना चाहता था लेकिन नेत्रहीन होने की वजह से बहुत मुस्किल से उसे विज्ञान विषय मिल पाया।
इसके बाद उस ने 12वीं की एग्जाम में 98% लाकर सबको दिल जीत लिया। इसके बाद उसने आईआईटी (IIT) की एंट्रेंस एग्जाम देना चाहा लेकिन नेत्रहीनता होने के कारण भारत के किसी भी बेहतरीन कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाया। उसके बाद उन्होंने अमेरिका में एडमिशन के लिए अप्लाई किया तो अमेरिका के MIT कॉलेज ने इन्हे एडमिशन दे दिया तो वही से इन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। इनकी बुद्धिमानी को देखते हुए अमेरिका में इन्हे कई नौकरी करे का प्रस्ताव मिला लेकिन वह वहा नोकरी करना नही चाहता था और भारत वापस आ गया।
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दिव्यांगों को अपने दम पर जीना सिखाया (Taught the handicapped to live on their own)
वह भारत आकर अपने जैसे नेत्रहीन और दिव्यांगों बच्चो को मदद करने में जुट गए। उन्होंने शारीरिक रूप ओर मानसिक रूप से असहाय लोगों को प्रोत्साहित करने का कार्य करने लगा ताकि बाकी और दिव्यांगों लोगों को भी इस समाज में एक सम्मान जनक स्थान प्राप्त हो सके और उनकी हर जरूरत को पूरा करने के लिए इन्होंने Bollant Industry नाम की एक संस्था खोली जहां पर इन्होंने दिव्यांगों को रोजगार दिया और अपने बल बूते पर जीवन यापन करना सिखाया आज के वक्त में इनकी कंपनी का टर्न ओवर सालाना 50 करोड़ रूपए लमसम है। इस दिव्याग व्यक्ति का नाम श्रीकांत बोला (Srikanth Bolla) जी है।
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जिन्हे बचपन में लोगों ने कहा था कि इसे जीने का कोई हक नहीं है उसी लड़के ने आज हजारों लोगों को जीने का रास्ता दिखाया।{alertSuccess}
कहानी की नैतिक (Moral Of The Story)
दोस्तों फर्क नहीं पड़ता की आप अभी किस परिस्थिति में हो या आपके पास क्या नहीं है, अगर आप में कुछ कर दिखाने का जज्बा और जनून है, हिम्मत है तो यकीनान आप खराब से खराब परिस्थितियों में भी वो सब कर सकते हो जिसके बारे में लोग सोच भी नही सकते है। इसलिए हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की हौसला रखिए ।
दोस्तों ये सच्ची घटना हमें यह सिखाती है की हम अपने जीवन में छोटी-मोटी समस्याओं को लेकर दुखी होते रहते हैं और दूसरी तरफ Srikanth जी जैसे अन्य लोग भी है जो अपने जीवन में इतना कुछ सहन करने के बाद भी हार नहीं मानते। अपनी जीवन में हर परेशानियों से लड़ते रहिए यकीनन अंत में जीत आपकी निश्चित होगी। दोस्तों फिल्मों की बनावटी कहनी साझा करने से बेहतर है ऐसी सच्ची कहानी शेयर किया करो। आपके एक शेयर से कई लोगों को हिम्मत, प्रेरणा और सही रास्ता मिलेगा इस पोस्ट को देखते ही शेयर करें।
अंतिम शब्द
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