“Chhath Puja 2024: बिहार समेत पूरे देश और दुनियां भर में आस्था और प्रेम से मनाए जाने वाले चार दिवसीय "छठ महापर्व 2023" शुक्रवार से नहाय खाय के साथ ही शुरुआत होगी और 19 नवंबर को (संध्या अर्घ्य) व 20 नवंबर (सोमवार) सुबह सूर्य को (भोर का अर्घ्य) देने के साथ ही छठ पर्व का समापन होगा।„
Chhath Puja festival |
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छठ पूजा के बारे मैं महत्वपूर्ण जानकारी
- नहाय खाय दिन से चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरूवात हो जाती है।
- छठ महापर्व में छठ व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास करते है।
- पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य व उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
- नदी या तलाब घाट में खड़े होकर अर्ध्य देने की परंपरा है।
- छठ पुजा में किसी भी मूर्ति या फोटो की पूजा नहीं होती है।
- इस पर्व ने सूर्य देव की पूजा पूरी आस्था और श्रद्धा से की जाती है।
- दुनिया भर मनाई जानें वाली छठ पूजा का पौराणिक महत्व है।
- छठ महापर्व को निर्जला उपवास वाला त्योहार भी कहा जाता हैं।
- छठ पर्व पुरे निष्ठा और परंपरागत तरीके से मनाई जाती है।
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Chhath Puja 2023
19 नवंबर 2023 (रविवार)
- आस्था और परंपरागत तरीके से मनाई जानें वाली छठ पूजा की सुरूबात नहाय खाय के दिन 17 नवंबर (शुक्रवार) दिन से ही शुरुआत होगी "नहाय खाय के दिन" छठ व्रती अपने घर से नजदीकी किसी नदी झील या गागा स्नान करते हैं। फिर इसके बाद मात्र सुबह एक बार ही खाना खाते हैं।
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पहला दिन (17 नवंबर) होगा नहाय खाय
Nahay Khay Chhath Puja 2023: आमतौर पर सुबह सबेरे स्नान करने के बाद छठ व्रती दाल-चावल के साथ विभिन्न प्रकार के शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं, इसके साथ ही चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत हो जाती है। इस चार दिवसीय छठ पर्व के दौरान मात्र एक समय ही भोजन किया जाता है, इसी समय से छठ व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास करती है।
दूसरा दिन (18 नवंबर) होगा खरना
नहाय खाय के बाद छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन साम के समय आमतोर पर मीठा भात (खीर) या लौकी की खिचड़ी खाने की परंपरा है। इस दिन छठी मैया का भोग तैयार किया जाता है। तरह तरह के पकवान व अद्वितीय फल फ्रूट की डाला बनाई जाती है, इसके बाद छठ व्रत का तीसरा दिन शुरू हो जाता है।
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तीसरे दिन (19 नवंबर) को संध्या अर्घ्य
Chhath Puja में तीसरा दिन अति महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य देने की परंपरा है। भिन्न-भिन्न प्रकार के पकवान व फल से सजी सूप, दउरा, डाला और दूध या जल भरकर "सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य" देने की परंपरा है। इस दिन साम को छठ व्रती महिलाएं व पुरुष "पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य" देते हैं।
Chhath Puja festival in Hindi |
चौथा दिन (20 नवंबर) भोर का अर्घ्य
छठ पूजा के चौथा दिन सुबह सूर्योदय के समय अर्घ्य दिया जाता है, इस दिन सुबह के समय छठ व्रती पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य" देते हैं। उसके बाद "छठ घाट" पर महजूद श्रद्धालु को "छठी मैया का प्रसाद" बाटते हैं। इस तरह चौथे दिन छठ पूजा का समापन हो जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
प्रश्न : छठ पूजा 2023 में कब है?
उत्तर : 19 नवंबर 2023 (रविवार) को संध्या अर्घ्य हैं।
प्रश्न : छठ पूजा में कितने दिन उपवास रहना होता है?
उत्तर : छठ व्रती महिलाएं व पुरुष 36 घंटे निर्जला उपवास रहते हैं।
प्रश्न : छठ पूजा का समापन कैसे किया जाता है?
उत्तर : छठ पर्व के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का समापन हो जाता है
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